पारे का कटोरा

आज में आपको बहुत ही प्राचीन पारे का कटोरा बनाने की विधि देने वाला हु,पारे का कटोरा बनाने के लिए आपको विधिवत मंत्र को सिद्ध करना पड़ेगा फिर जाकर आप पारे को कटोरा बना सकते हो,ये सब क्रिया इंद्रजाल में होती हे इसको हम इंद्रजाल भी बोल सकते हे,

हमारे प्राचीन ग्रन्थ में बहुत सारी ऐसी विधि मिल जाएगी जिसमे कई विधि तो ऐसी हे की आप सोना और चांदी भी आसानी से बना सकते हो पर समय के चलते ऐसे महान ग्रन्थ लुप्त होते जा रहे हे,हमारे भारत में कई ऐसे ग्रन्थ हे इसमें आपको हर रोग का इलाज़ आसानी से मिल जाता हे जिस रोग का इलाज आज भी विज्ञानं ढून्ध नहीं पाया हे उसका इलाज उस ग्रन्थ में आसानी से मिल जाता हे,

तो चलिए विस्तार से जानते हे पारे का कटोरा बनाने की विधि क्या हे उसके बारे में विस्तार से जानते हे,

पारे का कटोरा

विधि विधान

लोहे का तवा चूल्हे पर रखकर उस पर नीला थोथा बारीक पीसकर फैलावे। उस पर पारा डालकर नमक बिछावे फिर उस पर प्याला ओंधा रखकर उसके चारों तरफ गेंहू का आटा पानी में उसन कर लगावे और किनारे बन्द करें और उस पर ठंडा पानी डालकर नीचे आग जलावे और खूब पकावे। जब पारे का गोला बंध जाय तब जो चीज़ मंजूर हो बनाकर सुखलावे और डोल यंत्र में बकरे के पेशाब से भीगा रख कर गरम करे।

इससे वह चीज साफ चांदी की सी रंगतं सरल हो जायगी। फिर उस चीज को चाहे जिस काम में लाओ।

इसी प्रकार पारा और कलई दोनों को देव चंपा के दूध में खरल करने से एक दूसरे से कभी जुदा नहीं होता है फिर इनकी जो चीज चाहो सो बनालो और सुखाकर काम में लाओ।

इस तरह साधक पारे का कटोरा बनाने की विधि का प्रयोग करके पारे से कटोरा बना सकता हे.

यह भी पढ़े

रक्षा मंत्र साधना

स्मशान जगाने का मंत्र

जोपडी साधना

यक्षिणी साधना

शेरा वाली माता का मंत्र

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here