साधक मित्रो के लिए आज में इस पोस्ट के जरिये पितृ दोष मिटाने का सबसे सरल मंत्र और कुछ टोटके लेकर आया हु जिसका प्रयोग करके आप पितृ दोष मिटा सकते हो,
तो चलिए विस्तार से जानते हे पितृ दोष मिटने का मंत्र कैसे काम करता हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में चर्चा करते हे,
पितृ दोष को मिटाने के लिए कई प्रयोगों की परंपरा है, लेकिन एक सरल प्रयोग निम्नानुसार हो सकता है:
पहले से तैयार की गई श्राद्ध क्रिया करें: पितृ दोष को मिटाने के लिए श्राद्ध क्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। आप पूर्व से तैयार की गई श्राद्ध क्रिया का आयोजन कर सकते हैं और अपने पितृदेवों को उनका सम्मान देने के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। इसके लिए एक पंडित या विद्वान से संपर्क करें जो आपको श्राद्ध क्रिया का निर्देशन कर सकेंगे।
पुण्य कार्यों का आयोजन करें:
आप पितृदेवों के नाम पर पुण्य कार्यों का आयोजन कर सकते हैं। इसमें दान, दान-धर्म, आश्रम या वृद्धाश्रम में सेवा, पूजा आदि शामिल हो सकते हैं। आप एक स्थानिक मंदिर, आश्रम या धार्मिक संस्थान में जाकर इन कार्यों को कर सकते हैं।
मानसिक श्राद्ध करें:
अपने पितृदेवों के प्रति मानसिक श्राद्ध भी कर सकते हैं। इसके लिए, आपको शांति और श्रद्धा भाव से ध्यान करना होगा। आप एक शांतिपूर्ण स्थान पर बैठकर, पितृदेवों को स्मरण करते हुए, उनके लिए प्रार्थना कर सकते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद का आभास कर सकते हैं।
मंत्र जप करें:
पितृ दोष को मिटाने के लिए विशेष मंत्रों का जाप कर सकते हैं। इसके लिए, आपको किसी ज्ञानी गुरु या पंडित के पास जाकर उचित मंत्रों की सलाह लेनी चाहिए और उनके मार्गदर्शन में उन्हें नियमित रूप से जप कर सकते हैं। मंत्र जपने से आपके मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति में सुधार हो सकती है और पितृदेवों के द्वारा आपको कृपा मिल सकती है।
मंत्र
गंगा चली गंगोत्री धाम
चली झुमती बिखरी चंचल मुस्कान
गंगा जी चली पर्वतों को चीरती धाम
धन्य हो गये जगत पूर्व जान
जो नर सत्य कर्म करें वह गंगा धाम आये पर
पूजे सन्तों को नहाये गंगा जी पर
पहनाये चीर जब पंडितों को
जब अमावस्या का दिन आये।
करे उद्धार पूर्वजों का और मान बढ़ायें
गंगा जी पर नहाकर सीधा घर आये।
कृष्
ऐसे नर बेड़ा पार हो जाये
जो गंगा घाट पर नहाये।
विधि विधान
अमावस्या के दिन पित्रगणों को शान्त करने और उनका उद्धार करने गंगाजी पर आकर इस मन्त्र से दान कपड़े पंड़ितों को दान करें जो पंडित कर्मकाण्डी हो उसे दान करें।
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