मारण मंत्र का उपयोग करना ठीक नहीं हे जेसा करोगे वेसा भरोगे मेने सिर्फ साधक के ज्ञान हेतु ही इस पोस्ट को यहाँ डाला हे,
साधक का इसका उपयोग नहीं करना चाहिए हमारा उद्देश्य सिर्फ जो हमारा पुराना तंत्र हे जो धीरे धीरे लुप्त होता जा रहा हे उसको जनहित के लिए जारी करना,हम यहाँ जो भी मंत्र और उसका विधि विधान डालते हे १००% कारगर साबित होता हे इसलिए जो भी साधना करे सोच समज के ही करे.
मारण मंत्र
ॐ हीं अमुकस्य हन हन स्वाहाः।।
विधि-
कनेर के दस हजार फूल कई के तेल में भिगो के वैरी का नाम मंत्र में ले जहा अमुकस्य शब्द आता हे वहां पर अपने दुश्मन का नाम ले।
मारण मंत्र २
ॐ नमोः हाथ फावड़ी कांघे कामरी भैरू वीर मसाणे खड़ा लोह का धनी बन का बाण वेग ना मारे तो देवी का लंका का की आण गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा सत्य नाम आदेस गुरु का।
विधि-
दिवाली की रात्रि को चौकी लगाके दीपक जलाय। गूगल का धुप करे उड़द मंत्र के दीया की लौ पर मारता जाय १०८ तथा १२१ फिर काले कुत्ते का लोही उड़द पर डाले और वो उड़द मंत्र के अपने वेरी को मारे।
अन्य प्रकार-
ॐ नमोः काल रूहाय अमुकस्य भस्म कुरू कुरु स्वाहा।
विधि १-
मनुष्य का हाड़ ताम्बूल में रख के १०८ बार मंत्र के जिसको खिलावे वो मरे।
विधि २-
मंगलवार को १५ को यंत्र विलोम करके चिता की भस्मी से १०८ बार मसान की भस्म ऊपर सौं मारे तो शत्रु मृत्यु वश हो।
विधि ३-
चिता का मंगलवार भरणी नक्षत्र में १०८ बार मन्त्र जिसके दर्वाजा पर गाढ़े सो मृत्यु वश हो।
यहाँ पर जो मारण मंत्र विधि और विधान बताया हे वो सिर्फ साधक के ज्ञान हेतु ही हे इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए,मेने जो मारण मंत्र डाला हे वो सब शक्तिशाली हे पर इसकी साधना करना कोई ऐडे गेडे का काम नहीं हे इसको सिद्ध करने के लिए गुरु की आवश्यकता पड़ती हे अगर बिना गुरु के मंत्र को सिद्ध करने की कोशिस करोगे तो उल्टा नुकसान होगा क्योकि ये मंत्र को सिद्ध करने में कोई त्रुटी रह गई तो खुद साधक फंस सकता हे इसलिए बिना गुरु के इसकी साधना करे!
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