मेलडी माता की साधना ज्यादातर गुजरात और उज्जैन में की जाती हे,मेलडी माता एक ऐसी विद्या हे जो हरेक प्रकार के कार्य करने में सक्षम हे उसके लिए कोई कार्य कठिन नहीं हे,जितने भी अघोरी हे या तांत्रिक लोग हे उसके पास माता मेलडी ना हो संभव ही नहीं मेलडी के कई प्रकार हे,माता मेलडी महामंत्र की साधना तामसिक और सात्विक दोनों रीत से की जाती हे,
सात्विक साधना में माता को सात्विक भोग लगता हे और तामसिक साधना में माता को बकरे की कलेजी,दारु की बोतल अर्पित किया जाता हे,माता मेलडी के साथ ५२ वीर,६४ जोगनी और कई प्रकार के वीर पीर चलते हे,अगर कोई भी प्रकार की स्मशानिक क्रिया करनी हो तो माता मेलडी की सिद्धि के बाद चुटकी में कर सकते हे,माता मेलडी साधक को दुनिया की हर चीज़ लाकर दे सकती हे अगर उसके वचन पर चलोगे तो अगर उसका वचन तोड़ दिया तो माता मेलडी घर को भी स्मशान बना देती हे,
इस पोस्ट में हम माता मेलडी महामंत्र के बारे में विस्तार से जानेंगे इस मंत्र की सिद्धि से साधक हर षट कर्म आसानी से कर सकता हे.
मंत्र
सतनमो आदेश श्री नाथजी गुरुजी को आदेश ॐ गुरुजी मेलड़ी माई कोन कौन कौन ध्याया। उज्जैन का राजा विक्रमादित्य परमार ध्याया और कामरू देश का इस्माईल योगी ध्याया।आदिशक्ति मेलड़ी माई आई।हाथ तस्बी त्रिशूल तलवार,पीरानी जंजीर लेके आई।हुँकारती आई।गाजती आई।घोरती आई।दिहाड़ती आई।अट्टहास करती आई।किलकारी करती आई।साथ में लंकेश्वरी हनुमान आया।सवामण की गदा और वज्जर कि जंजीर लाया।साथ में सुलेमान पीर तिलिस्मी जंजीर वाला।गढ़ गजनी का मुहम्मद वीर आगे आया। आगे कौन कौन वीर चलें।गणेश वीर चलें।काल भैरव वीर चलें।
वीरभद्र वीर चलें।शाहतुर परी बांये अंग,दायीने अंग सुल्तान परी।संग पुरबाई परी आई पाँख वाली।बाँध बाँध हाथो में हथकड़ी।पैरों में बेड़ी बाँध पीरानी
जंजीर से बाँध देव बाँध,भूत बाँध, प्रेतराज बाँध,डेल डाकण चुडैल बाँध।
जिन्न खवीस मामा बाँध मुगल पीर पठान सैय्यद को बाँध जापड़ी जापड़ा को बाँधा वीर बन्तरा को बाँधा नूरिया मसाण को बांधा और कि चौकी
उखाड़ती जा ।अपनी चौकी बैठाती जा, गढ़े धन को दिखाती जा।चोर डाकू हत्यारे को बताती जा।हमारा इतना काम मेलड़ी माई करें। मदद करो मेलड़ी
माई रक्षा करो मेलड़ी माई। इतना सुन कर मेलड़ी माई हमारे शब्द कोन न मानें। तो पिता महादेव जी की जटा उखाड़ खून में स्नान करें।माता गौरी पार्वती का चीर फाड़ कांचली करें।अपने वाचा से पीछी फिरो तो लोना चमारी की नाद आसो मेहतरानी के नरक कुण्ड में पड़े।चल चल मेलड़ी माई।
नहीं चले तो तीन लाख तैतीस हजार वीर पैगम्बरों की करोड़ करोड़ दुहाई।
मेलड़ी माई चल तो सही।इतना मेलड़ी माई मन्त्र जाप सम्पूर्ण भया।शून्य की
गादी बैठ राजा भृतहरि नाथ जी ने आपो आप सुनाया।श्री नाथजी गुरुजी को
आदेशा आदेश आदेश।
विधि
उपर्युक्त मंत्र शाबर मंत्र हे और गुरुमुखी हे इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए साधना रविवार या मंगलवार के दिन शुरू करे,एक बाजोठ लेकर उस पर लाल वस्त्र बीचा दे और उस वस्त्र के ऊपर माता मेलडी की प्रतिमा स्थापित करे,प्रतिमा की दाई और पानी का लोटा रखे और कुमकुम से स्वस्तिक बनाये,५ निम्बू रख दे और माता मेलडी की प्रतिमा की बायीं और मोर पिछ रख दे फिर रात १२ बजे के बाद काली हकिक की माला से उपर्युक्त मंत्र का १२५ बार जाप करे,ये साधना ११ दिन तक करे हररोज विधि विधान एक ही रहेगा, साधना के आखरी दिन माता मेलडी को सात्विक भोग लगाये और एक नारियेल अर्पित करे मंत्र सिद्ध हो जायेगा,साधना में जो सामग्री बची रहे उसको पानी में प्रवाहित कर दे.
इस तरह साधक मेलडी महामंत्र सिद्ध कर सकता हे बस ध्यान ये रखना हे की माता मेलडी का गलत इस्तेमाल ना करे क्योकि माता मेलडी काली नागिन की तरह डच लेती हे.
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