आज में इस पोस्ट के जरिये विविध रोग नाशक मंत्र लेकर आया हु,हमारे दिए हुई मंत्र से आप नाभि को ठीक कर सकते हो,नेत्र रोग का निवारण कर सकते हो,पेट दर्द का निवारण कर सकते हो,बालक के रोग को और प्रसव पीड़ा को भी दूर कर सकते हो,प्राचीन काल में जब विज्ञानं का अविष्कार नहीं हुआ था तब हमारे रुषी मुनि मंत्र और औषधि के जरिये रोग का इलाज करते थे,

हमने यहाँ जो रोग नाशक मंत्र डाले हे वो बहुत ही शक्तिशाली और कारगर साबित होते हे, जो व्यक्ति असाधारण बीमारी से जुज रहा हे वो व्यक्ति इस रोग नाशक मंत्र और हमारे दिए गई टोटके का प्रयोग करके गंभीर बीमारी से छुटकारा पा सकता हे,

रोग नाशक मंत्र

नाभि को ठीक करने के लिए मंत्र

मन्त्र

ॐ नमो नाड़ी नाड़ी।

नौ सै नाड़ी।

कोठा । बहत्तर चलै

डिगै न चले नाड़ी रक्षा करे।

यती हनुमन्त की आन ।

शब्द साँचा। पिण्ड काँचा ।

अगाड़ी। कोठा ।

फुरे मन्त्र ईश्वरोवाचा ॥

विधि :

इस मन्त्र को सिद्ध करके फिर प्रयोग इस तरह करें। एक पोला बांस लें जिसमें कि नौ गाँठें हों रोगी व्यक्ति को लिटा करके उसकी नाभि के ऊपर यह बांस खड़ा करके इस मन्त्र का जाप करते हुए बांस के छेद में जोर-जोर से फूँकें मारने से उखड़ी हुई नाभि ठीक हो जाती है।

नेत्र दोष निवारण

जिस नर नारी बच्चे पर नेत्र दोष हो उसे तेल की बत्ती बना कर अपने ऊपर पाँच बार उतारकर आंगन में रख दो पाँच दिन तक ऐसा करने से नजर दोष समाप्त हो जायेगा और रात को बच्चे पर हथेली में आटा लेकर बच्चे पर उतार कर बाहर की तरफ उड़ा दो। यह विधि करने से नजर दोष समाप्त हो जायेगा।

नर नारी बच्चे पर नजर लग जाय तभी जिस कपड़े पहनकर नजर लगी हो उसे जब तक न पहनो तक तक ठीक न हो जाय और उन कपड़ों को बाँध कर और पाँच मिर्च उतार कर उन कपड़ों में रख दो तीन दिन रखने के बाद चौथे दिन उन कपड़ों को धो दो और मिर्चों को अग्नि में जला दो ऐसा करने से नजर समाप्त हो जायेगी।

पेट दर्द दूर करने के लिए मंत्र

मंत्र

बिस्मिल्लाहररहमाननीर रहीम अल हम्दोलिल्लाहे रबील आलमीन हर रहमान नीर रहीम माले कीयो मीदीनया का नाम बदोयाका नस्ताहीन अहदेई नसरातल मुस्तकी मासरातल गेरील मगदुबे बल दुवालीन आमीन।

विधि :

इस रोग नाशक मंत्र का उच्चारण करते हुए साधक रोगी के पेट पर २१ बार हाथ दर्द वाले स्थान पर फेरें तो प्रभु कृपा से दर्द ठीक हो जायेगा।

पेट दर्द दूर करने के लिए मन्त्र

मंत्र

ॐ नमो इट्ठी मीट्ठी भस्म कुरु स्वाहा ।

विधि :

१२५०० जाप करके इस मन्त्र को सिद्ध कर लें।

फिर २१ बार पानी को रोग नाशक मंत्र से अभिमंत्रित कर रोगी को पिलायें तो पेट का दर्द दूर होगा।

प्रसव पीड़ा को शान्त करने के लिए

मंत्र

बेमाता चली गाँव घाट से

गंगा नदी पर ठहर गई

गंगा ने दिया पुरकारा बेमाता चली बेसुमाता

पहुंची जा नारी के घर जहां प्रसव हो घनेरा

बेमाता उठी पहुंची रात घनेरे

पीड़ा हरी दे प्रेम की जड़ी

प्रसव पीड़ा शान्त हुई नारी हो गई सत्य की कड़ी

जय जय धर्म की घड़ी

जय जय बेमाता जय हो।

इति सिद्धम्!!

विधि

जब किसी स्त्री का प्रसव का समय हो तब इस मंत्र का जाप करने से प्रसव पीड़ा दूर हो जाएगी,

बालक के बीमार रहने पर

जब बच्चा अन्दरुनी बीमार रहे और दवाई न लगे उस बच्चे को सूती कपड़े का कुर्ता पहनाओ और सात दिन तक लगातार पहने रहने दें फिर सांतवे दिन उस कपड़े में से धागे निकालो और बत्ती बनाओ और मिट्टी के दीये में चार बत्ती लगाकर जला दो जलाकर उस बच्चे पर सात बार ऊपर से नीचे तक उतारो और फिर उतार कर बाहर किसी अनजान जगह पर रख दो शनिवार और मंगलवार के दिन करना है यह कार्यवाही प्रथम सप्ताह में दो बार करनी है और फिर सप्ताह में एक बार करनी है सवा महीना करने के पश्चात माता दुर्गा या शिव मन्दिर में ज्योत जलानी है और शिवलिंग पर जल चढ़ाना है,और सूर्य देव को रोज शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद सूर्य देव को सिर से ऊपर से जल छोड़कर जल देना है नर नारी बच्चा कितना भी ज्यादा बीमारी हो यह कार्य विधि करने से ठीक हो जायेगा।

बालक अधिक रोये ठीक करने के लिए

यदि बच्चा ज्यादा रोता है गाय का दूध बच्चे पर उतार कर शिवलिंग पर चढ़ाये और एक ज्योत जलाकर शिवलिंग के पास रख दें और जो जल शिवलिंग पर चढ़ावें वही जल आगे से गिरता हुआ उसी बर्तन में ले आवे जितना भी मिल सके उतना ले आये और बच्चे को पिला देवें। यह विधि करने से बच्चा रोना बन्द हो जायेगा।

बुखार उतारने का मन्त्र

मंत्र

बुखार का नाम शैतान का

डरे बुखार नाम ले सुलेमान का

खुल जाय नाड़ी डर कर निकल जाय शैतान

नाम लिया करो सुलेमान का

21 बार रोज पढ़ो गुड़ काली मिर्च मुनाका

पकाओ अग्नि पर पिलाओ मिलाकर

हटे बुखार नाम ले सुलेमान का!!

गुड़ काली मिर्च मुनाका को पकाओ जिसको मरीज पी सके दिन में तीन बार यह मन्त्र 21 बार पढ़कर पिलाओ गुड़ काली मिर्च मुनाका अपने दिमाग के हिसाब से डालो कम ज्यादा से नुकसान नहीं होगा।

मानसिक परेशानी दूर करने के लिए

जीवन में जो मिले तब भी ठीक और न मिले तब भी ठीक क्योंकि मनुष्य को जीवन में सब कुछ मिलकर भी कुछ नहीं मिलता इसलिए पशु का स्मरण करो उसी से मनुष्य को लाभ और जीवन की कमाई होती है। सुबह के समय श्वास को बाहर और भीतर रोक रोक कर छोड़े और ओम का नाम श्वास के द्वारा ले जैसे-जैसे श्वास ज्यादा समय तक रोकोगे उतना ही ज्यादा फायदा होगा जो ऊर्जा आपके अन्दर शक्ति बनकर आयेगी उससे सांसारिक कार्य सम्पन्न होगे और अगर आप सांसारिक कार्य नहीं चाहते तो प्रभु की तरफ अग्रसर होगे। यह विधि बहुत महत्वपूर्ण और मानसिक तनाव को दूर करने के लिए है।

रोगी हमारे दिए हुई रोग नाशक मंत्र का प्रयोग करके गंभी रोग और असाधारण बीमारी को दूर कर सकता हे.

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