विचित्रा यक्षिणी साधना बहुत ही सौम्य और सात्विक साधना हे,विचित्रा यक्षिणी कम समय में और कम जाप में प्रसन्न होने वाली शक्ति हे और वो ज्यादा कसोटी भी नहीं लेती,सवा लाख जाप करना आवश्यक हे पर जब आपका आधा जाप हो जाये तब ही वो साधक के सामने आकर प्रसन्न हो जाती हे विचित्रा यक्षिणी साधना ज्यादातर मनोकामना पूर्ति हेतु साधक करता हे,

हर साधक की कुछ ना कुछ मनोकामना होती ही हे एक बार बस उसको बतादो ये यक्षिणी आपकी मनोकामना पूर्ण कर देगी,प्राचीन समय में विचित्रा यक्षिणी की सिद्धि करके साधक अपनी हरेक इच्छा पूर्ण करता था पर ध्यान ये रखे की उसके पास कोई गलत कार्य न कराये वरना आपकी सिद्धि नष्ट हो जाएगी,

तो चलिए जानते हे विचित्रा यक्षिणी साधना के बारे में और उसके निति नियम के बारे में आपको कुछ खास नियमो का पालन करना पड़ेगा साधना के दरमियान,

विचित्रा यक्षिणी साधना

मन्त्र:-

” विचित्र विचित्र रूपे सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा।।

साधन विधि-

वटवृक्ष के नीचे, पवित्र होकर उक्त मंत्र का सवा  लाख बार जप करे तथा बंधूक के फूल,  शहद,  अन्न और दूध-इन सब को मिलाकर हवन करे, तो ‘विचित्रा यक्षिणी’ प्रसन्न होकर साधक को मनवांछित फल प्रदान करती है।

आपसे ये साधना एक दिन में ना हो पाए तो आप इस साधना को ३ दिन में भी सम्पन्न कर सकते हे पर तीनो दींन जाप की संख्या निर्धारित होनी चाहिए,साधना के दरमियाँन दारू मांस और मछली से दूर रहे,पूर्णतः ब्रह्मचर्य का पालन करे, ये साधना करने से पहले इष्टदेव का स्मरण करे और भोलेनाथ की एक माला करे,

यक्षिणी आपको बहेन,माता या पत्नी के रूप में आकर आपको इच्छित वर प्रदान करती हे,इस तरह साधक विचित्रा यक्षिणी साधना करके अपनी मनोकामना पूर्ति कर सकता हे और अगर आप उसे जायज़ काम करने के लिए भेजोगे तो वो काम वो चुटकी में कर देती हे.

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