विरक्ति

विरक्ति या वैराग्य एक आध्यात्मिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति सांसारिक मोहों से अलग होकर अपने आंतरिक स्वभाव को पहचानता है और भगवान की तलाश में अपने जीवन को समर्पित करता है। यह एक गहरी आध्यात्मिक प्रक्रिया होती है और इसमें नियमित साधना और संयम की आवश्यकता होती है। विरक्ति के लिए शक्तिशाली मंत्र का प्रयोग भी किया जा सकता है, लेकिन ध्यान देने योग्य है कि विरक्ति एक नियमित और स्थैतिक प्रक्रिया है और यह अधिकतम लाभ तभी प्रदान करती है जब इसे धैर्य से और सावधानीपूर्वक अपनाया जाए।

अगर आप विरक्ति के लिए मंत्र का प्रयोग करने की इच्छुक हैं, तो आप निम्नलिखित “वैराग्य प्राप्ति” मंत्र का जाप कर सकते हैं:

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”

इस मंत्र का जाप करते समय आपको ध्यान देना चाहिए कि आप इसे ध्यानपूर्वक, श्रद्धा भाव से और अनुष्ठान से जपें। यह मंत्र वैष्णव धर्म में प्रचलित है और भगवान विष्णु को समर्पित है। इसका जाप करने से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है और उसका ध्यान आध्यात्मिक चीजों पर लगने लगता है।

ध्यान रहे कि मंत्र का जाप एकमात्र तकनीक नहीं है जो विरक्ति को प्राप्त करने में सभी के लिए समान रूप से कारगर होगी। विरक्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण है नियमित ध्यान, धारणा, मेधा, साधना, संस्कार, संयम, सात्विक आहार और शुद्ध चिंतन के साथ अपने जीवन को जीना। संसारिक मोहों से अलग होकर आध्यात्मिक मार्ग पर नियमित अभ्यास और साधना करने से ही विरक्ति और आंतरिक शांति की प्राप्ति होती है।

विरक्ति

मंत्र

भरत चरित करी नेमु, तुलसी जे सादर सुनहिं ।

सीयाराम पद प्रेमु, अवसि होय भवरस विरति ॥

विधि विधान

उपर्युक्त मंत्र का जाप कम से कम ४१ दिन तक करे जाप के समय सुगन्धित धुप करे और अपनी चारो तरफ सुगन्धित इतर का छिडकाव करे और रोज ५ माला करे ये विधि लगातार ४१ तक करे,

इस तरह साधक विरक्ति के लिये इस मंत्र का प्रयोग कर सकता हे.

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