आज में आपके समक्ष किन्नरी की साधना लेकर आया हु और ये विधि बहुत ही प्राचीन विधि हे, किन्नरी की साधना मनोकामना पूर्ति के लिए और भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए की जाती हे, किन्नरी की साधना मुख्य्यतः नदी तट या पर्वत पर की जाती हे किन्नर समाज के लोग होते हे उसके पास विविध किन्नरी की सिद्धी होती हे, आज में आपको विशालनेत्रा किन्नरी साधना देने वाला हु जिसको सिद्ध करके आप किन्नरी की सिद्धि हासिल कर सकते हो,
किन्नरी की साधना पत्नी के रूप में माता के रूप में और बहेन के रूप में की जाती हे, में यहाँ जो विशालनेत्रा किन्नरी साधना दे रहा हु वो आपको पत्नी के रूप में उसकी सिद्धि हासिल करनि ताकि वो आप पर प्रसन्न होकर स्वर्ण मुद्रा देती हे, किन्नरी की खासियत ये हे की उसकी एक बार सिद्धि करने से वो साधक का साथ कभी नहीं छोडती और सुख दुःख में उसके समीप रहती हे और आने वाले संकटो से वो साधक को बचाती हे,
तो चलिए विस्तार से जानते हे विशालनेत्रा किन्नरी साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र
ॐ विशाल नेत्रे स्वाहा”
साधना विधि
रात्री काल में नदी के तट पर जाकर उक्त मन्त्र का सहस्त्र की संख्या में जप करे तथा किन्नरी का विधिवत् पूजन कर उपर्युक्त मन्त्र का पुन:बार जप करें तो रात्रि के अन्त में विशालनेत्रा किन्नरी’ साधक के समीप आकर, उसकी पत्नी होकर, प्रतिदिन प्रसन्न हृदय से आठ स्वर्ण मुद्रा प्रदान करती है तथा उसकी सब इच्छा को पूरा करती है।
इस तरह साधक विशालनेत्रा किन्नरी साधना करके उसकी सिद्धि हासिल कर सकता हे और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हे,किन्नरी साधना में इस साधना को श्रेष्ठ माना जाता हे.
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