सिकोतेर साधना बहुत ही शक्तिशाली साधना हे, साधक मित्रो ने सिकोतेर का नाम तो सुना ही होगा सिकोतेर के भी कई प्रकार होते हे,इस शक्ति की साधना तामसिक और सात्विक तरीके से होती हे,
आज में यहाँ जो मंत्र दे रहा हु वो माता सिकोतेर का तामसिक मंत्र हे यानि की चलाव मंत्र हे जिसने साधना की हे और तंत्र में पारंगत हे उसको पता ही होगा की चलाव मंत्र क्या होता हे,
तो चलिए विस्तार से जानेंगे सिकोतेर साधना के इस चलाव मंत्र के बारे में उसको कैसे सिद्ध किया जाता हे और उसका प्रयोग कैसे किया जीता हे,
मंत्र
ॐ गुरूजी अगन पुतली अगन की गोट,में मारू दुश्मन को चोट,
मेरा दुश्मन तेरा भड़क,आवो सिकोतेर मेरी पीठ पर हाथ धर,
अन्न धन का भंडार भर
धरती की अनी,पारसी की धार,
निकल जा सिकोतेर आरम पार
मेरी हंकारी मेरी ललकारी पाछी फरे तो महाकाल की दुहाई फरे
तेथी पाछी फरे तो लुनिया चमार के कुंड में पड़े,
शब्द साचा पिंड काचा फुरो मंत्र इश्वरो वाचा!!
सामग्री
सवाशेर चावल,एक नारियेल,गूगल और लोबान का धुप,काली हकिक या रुद्राक्ष की माला.
विधि
इस साधना का प्रारम्भ रविवार या मंगलवार से करे,जिसके कुल में माता सिकोतेर हे उसको कोई आज्ञा लेने की जरुरत नहीं और गुरु की जरुरत नहीं हे,गुरु की जरुरत इसको पड़ती हे जो तंत्र में नए हे उसको तंत्र का जरा सा भी ज्ञान नहीं हे कोई साधना ऐसी होती हे जिसमे गुरु का मार्गदर्शन होना जरुरी हे क्योकि वो साधना तीव्र और शक्तिशाली होती हे,
एकांत कमरे में माता सिकोतेर का स्मरण करके माता को धुप दीप और नैवेध अर्पित करे और अपने कुल्देवता का स्मरण करे,
माता को सवाशेर चावल में गुड और घी डालकर प्रसाद लगाये और रुद्राक्ष या काली हकिक की माला से उपर्युक्त मंत्र की एक माला करे, ये साधना ४५ दिन तक लगातार करे,जिस कमरे में साधक साधना कर रहा हे वह पर ही भूमि शयन करे,जितनी प्रेम भाव से माता की साधना करोगे उतना ही साधक को जल्दी सिद्धि मिल जाएगी,
साधना के बिच में माता सिकोतेर साधक को दर्शन दे तो साधना को पूर्ण ही करे कभी भी बिच में न छोड़े,साधना के आखरी दिन माता को मिठाई का भोग धरे अपनी शक्ति अनुसार कुवारी कन्या को कुछ दान करे साधक को अवश्य सिद्धि मिलेगी,इस तरह साधक सिकोतेर साधना करके सिद्धि हासिल कर सकता हे.
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