अंग शुद्धि मंत्र का जाप करने से पूर्व आपको ध्यान देने योग्य स्थान और समय की तैयारी करनी चाहिए। निम्नलिखित चरणों के माध्यम से आप अंग शुद्धि के मंत्रों का जाप कर सकते हैं:
शुद्ध मनस से शुरुआत करें:
ध्यान को केन्द्रित करें और मन को शांत करें। अपनी सांसों को ध्यान दें और धीरे से बाहर छोड़ें।
मंत्र की चुनौती करें:
अपने मन में अंग शुद्धि के लिए उच्चारण करने वाले मंत्रों को चुनें। यहां कुछ उदाहरण हैं:
मंत्र
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्णं त्वामहं शरणं गच्छामि।”
“ॐ हं हं ह्रीं ह्रीं ह्रौं ह्रौं क्षं क्षं पं पं फट् स्वाहा।”
माला या जाप माल का उपयोग करें: एक माला लेकर मंत्रों को जप करें। माला में 108 मन्त्रों की संख्या होती है, इसलिए आप माला को एक टाइम चुन सकते हैं और उसे पूर्ण करने के बाद अपने अंगों की शुद्धि के लिए और मंत्रों का जप कर सकते हैं।
ध्यान करें:
मंत्रों को उच्चारित करते समय ध्यान केंद्रित रखें। मन में अपने अंगों की शुद्धि और स्वस्थ्य को ध्यान में रखें। अपने मन को इन मंत्रों के साथ समर्पित करें।
नियमितता बनाएं:
अंग शुद्धि के मंत्रों को नियमित रूप से जप करें। एक निश्चित समय और स्थान निर्धारित करें और उसे अपनी दैनिक अभ्यास का हिस्सा बनाएं। नियमितता से जप करने से आपको अधिक लाभ मिल सकता है।
यह तरीके आपको अंग शुद्धि के मंत्रों का जाप करने में मदद कर सकते हैं। ध्यान रखें कि मंत्रों का जाप न केवल शारीरिक अंगों को शुद्ध करने में सहायता प्रदान करता है, बल्कि मानसिक शुद्धि और आंतरिक शांति को भी उत्पन्न कर सकता है।
हाथ में जल लेकर मंत्रित कर अपने सिर पर डालें।
मंत्र–
ॐ अमृते अमृतोद्भवे अमृतवर्षिणि इवीं क्ष्वी पं पं वं वं मं में सर्वाङ्ग शुद्धि कुरु कुरु स्वाहा।
मंत्र पढ़कर अपने ऊपर पानी के छींटे मारे।
इस तरह साधक साधना से पूर्व अंग शुद्धि का मंत्र और उसकी विधि का पालन करके अंग शुद्धि कर सकता हे.
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