यक्षिणी के बहुत सारे प्रकार होते हे और उसके अलग अलग कार्य होते हे सब यक्षिणी को सिद्ध करने की विधि और विधान भी अलग होता हे,आज में आपको अन्नपूर्णा यक्षिणी साधना कैसे करते हे उसके बारे में बताऊंगा,इस यक्षिणी की सिद्धि करके आप अन्न की समस्या दूर सकते हो अन्न का भंडार सदा के लिए भरा ही रहेगा,अन्नपूर्णा यक्षिणी की साधना स्मशान भूमि में की जाती हे अगर आपका कोई गुरु हे तो उसके मार्गदर्शन में या उसकी देखरेख में ये साधना करनी चाहिए अगर गुरु नहीं हे तो आपको अपने इष्टदेव की आगया लेकर इस साधना का प्रारम्भ करना चाहिए,

तो चलिए विस्तार से जानते हे अन्नपूर्णा यक्षिणी साधना कैसे करते हे उसके बारे में इस पोस्ट में आपको विस्तार से सम्जाऊंगा,

अन्नपूर्णा यक्षिणी साधना

मन्त्र-

ॐ नमो मातंगेश्वर्यै नमः।

साधन विधि

ये साधना एक दिन की साधना हे और स्मशान में साधना होगी साधना से पूर्व आप जिस जगह पे साधना करोगे उस जगह को पहले पवित्र कर ले और सुरक्षा घेरा बनाकर साधना का प्रारम्भ कर सकते हे, साधना से पूर्व अपने इष्टदेव की एक माला करे और साधना में सफलता मिले ऐसी प्रार्थना करे,संक्षिप्त गणेश पूजन करे और भगवान शिव की एक माला करे फिर साधना का प्रारम्भ करे,

स्मशान  में  बैठकर वहाँ को धूलि का सर्वांग में लेप कर इस मंत्र का ३५००००  सहस्र  जप  करने  तथा सुगन्धित द्रव्य का दान करने से  ‘अन्नपूर्णा यक्षिणी’ प्रसन्न  होकर,  साधक  को   दस   सहस्र   व्यक्तियों  के  पोषण  योग्य  अन्न   प्रतिदिन   प्रदान   करती   है।

ये साधना यानि की मंत्र जाप आपको एक ही बैठक में पूर्ण करने हे साधना के दरमियाँन आपको कई सारे अनुभव होंगे यक्षिणी खुद आकर आपकी साधना खंडित करने की कोशिश कर सकती हे पर आपको बिना डरे साधना शुरू ही रखनी हे साधना को खंडित न करे,

इस तरह आप अन्नपूर्णा यक्षिणी साधना करके उसकी सिद्धि हासिल कर सकते हो.

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