आज में साधक मित्रो के लिए कामेश्वरी योगिनी साधना लेकर आया हु और इस योगिनी की सिद्धि हासिल करके साधक कामेश्वरी योगिनी की सिद्धि हासिल कर सकता हे,
तो चलिए विस्तार से जानते हे कामेश्वरी योगिनी साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
साधक को चाहिये कि वह पूर्वोक्त विधि से पूजादि कर शोभाय- मान भोजपत्र के अपर गोरोचन द्वारा सर्वालंकारों से अलंकृत देवी की प्रतिमूर्ति का निर्माण करे, फिर शैया पर बैठकर एकाग्रचित्त से मूल मन्त्र का जप करे । मंत्र यह है-
ॐ ही आगच्छ कामेश्वरि स्वाहा।
इस मंत्र का एक मास तक प्रतिदिन एक सहस्त्र संख्या में जप करना चाहिये। इस योगिनी की पूजा और मन्त्र जप के समय वृत एवं मधु द्वारा दीपक जलाना उचित है। देवी के स्वरूप का निम्न प्रकार से ध्यान करना चाहिये-
कामेश्वरी देवी चन्द्रमा के समान मुखवाली हैं, उनको आँखे खंजन की भ्रांती चंचल हैं और ये सदैव चंचल गति से विचरण करती रहती हैं। उनके हाथों में पुष्पबाण है।
चिन्तन के इस स्वरूप का निम्नलिखित श्लोक में वर्णन किया गया हे।
कामेश्वरी शशांकास्यां चनत्यञ्जनलोचनाम्,
सदा लोलगति कान्तां कुसुमास्वशिलीमुखम् ।
इस विधि से ध्यान, पुजन और मन्त्र का जप करने से कामेश्वरी योगिनी प्रसन्न होकर साधक के पास आती है और साधक से कहती हैं कि मैं तुम्हारी किस आज्ञा का पालन करूं? उस समय साधक को चाहिए कि यह पत्नी भाव से योगिनी का पाद्यावि द्वारा पूजन करे।
ऐसा होने पर देवि अत्यन्त प्रसन्न होकर साधक को परितुष्ट करती है तथा अन्नादि अनेक भोज्य पदार्थों द्वारा उसका पति के समान पालन करती हैं। वे साधक के समीप रात्रि बिताकर ऐश्वर्यादि सुख- योग की सामग्री विपुल धन तथा अनेक प्रकार के वस्त्रालंकार देकर प्रातःकाल चली जाती हैं। इस तरह प्रत्येक रात्रि में वे साधक के पास आती हैं और उसकी इच्छानुसार सिद्धि प्रदान करती हैं।
इस तरह साधक कामेश्वरी योगिनी साधना करके कामेश्वरी योगिनी की सिद्धि हासिल कर सकता हे और उसके आशीर्वाद प्राप्त कर सकता हे.
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