आज में आपको घृताची अप्सरा साधना देने वाला हु इस अप्सरा की सिद्धि से आप हर तांत्रिक क्रिया कर सकते हो, अप्सरा की साधना आप पत्नी के रूप में कर सकते हो,
तो चलिए विस्तार से जानते हे घृताची अप्सरा साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
घृताची प्रसिद्ध अप्सरा थीं। कहते हैं कि एक बार भरद्वाज ऋषि की तपस्या भंग करने के लिए इंद्र से इसे भेजा था। भारद्वाज गंगा स्नान कर अपने आश्रम की ओर लौट रहे थे। तभी उनकी नजर घृताची पर पड़ी जो नदी से स्नान कर बाहर निकल रही थी। भीगे वस्त्रों में उसके कामुक तन और भरे पूरे अंगों को देखकर भारद्वाज मुनी वहीं रुक गए। उन्होंने अपने नेत्रों को बंद कर खुद को नियत्रण करने का प्रयास किया लेकिन ऐसा करने में वे असफल रहे। आंखें खोलकर वे उसके रूप और सौंदर्य को निहारने लगे। कामवासना से पीड़ित भारद्वाज का देखते ही देखते वीर्यपात हो गया था। तभी वीर्य को उन्होंने एक द्रोणि (मिट्टी का बर्तन) में रख दिया जिससे द्रोणाचार्य का जन्म हुआ था।
पौराणिक कथा अनुसार यह कश्यप ऋषि तथा प्राधा की पुत्री थीं। पौराणिक मान्यता के अनुसार घृताची ने कई पुरुषों के साथ समागम किया था। कहते हैं कि विश्वकर्मा से भी घृताची के पुत्र हुए थे। रुद्राश्व से घृताची को दस पुत्र और दस पुत्रियां उत्पन्न हुई थीं। कन्नौज के नरेश कुशनाभ ने इसके गर्भ से सौ कन्याएं उत्पन्न की थीं। महर्षि च्यवन के पुत्र प्रमिति ने घृताची के गर्भ से रूरू नामक पुत्र उत्पन्न किया था। घृताची की खूबसूरत काया को निहारने मात्र से वेदव्यास ऋषि कामाशक्त हो गए थे जिसके चलते शुकदेव उत्पन्न हुए।इस तरह हमने देखा कि किस तरह अप्सराओं के मादक जाल में फंसकर ऋषियों ने अपना तप छोड़कर संसार में अपने वंश की वृद्धि की। इसी तरह से उपरोक्त अप्सराओं के और भी कई करनामें हैं। इसके अलावा निम्नलिखित अप्सराओं ने भी धरती पर आकर मनुष्य जाति को अपने जाल में फंसाकर कई पुत्र और पुत्रियों को जन्म दिया। कहते हैं कि मनुष्य की आधी आबादी इन्हीं की संतानें हैं।
इस तरह आप घृताची अप्सरा साधना करके उसकी सिद्धि हासिल कर सकते हो और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते हो.
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