जब आप कोई बड़ी साधना करने वाले हो तब आपको विधिवत तरीके से साधना का प्रारम्भ करना पड़ता हे,आसन,माला,स्थान और दिपक का महत्त्व खास होता हे और साथ साथ भोग और नैवेध का महत्त्व भी खास होता हे,आज में इस पोस्ट जरिये आपको दिपक स्थापना मंत्र देने वाला हु जब आप दीपक प्रज्वलित करो तब आपको इस मंत्र का जाप करना अनिवार्य हे,
तो चलिए विस्तार से जानते हे दिपक स्थापना मंत्र का प्रयोग कैसे करे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे.
मंत्र
ॐ हीं अज्ञान तिमिर हरं दीपकं स्थापयामि।
विधि विधान
जब आपको दीपक की स्थापना करनी हो तब आपको उपर्युक्त मंत्र की एक माला करके दीपक की स्थापना करनी हे तब जाके आप आगे की विधि शूरू कर सकते हो,
दीप प्रज्वलन एक प्रार्थना और पूजा का महत्वपूर्ण तत्व है जो अनेक संस्कृतियों और धर्मों में प्रचलित है। यह एक सामान्यतः उपयोग किया जाने वाला प्रथामिक रूप है जिसमें एक दीपक को प्रज्वलित किया जाता है और उसे देवी-देवताओं, ईश्वर या दिव्यताओं की अर्चना के लिए उपयोग किया जाता है।
दीप प्रज्वलन को मन्त्र और पूजा के दौरान एक पवित्र क्रिया के रूप में व्यक्त किया जाता है। इसे दीपाराधना, दीपाराधना, आरती या दीपावली जैसे अवसरों पर भी किया जाता है।
दीप प्रज्वलन के दौरान दीपक को तेल, घी या मोम की बत्ती के रूप में प्रयोग किया जाता है और उसे एक अग्नि स्रोत के पास रखा जाता है। मन्त्रों के जाप के साथ, पूजा करने वाला व्यक्ति दीपक को प्रज्वलित करता है और अर्चना, प्रार्थना और आरती के दौरान उसे घुमाता रहता है। इसे अनुयायी लोग देवी-देवताओं का स्वरूप, आदेश और शुभकामनाएं स्वीकार करने का प्रतीक मानते हैं।
दीप प्रज्वलन का उद्देश्य अंधकार को दूर करके प्रकाश का प्रतीकित करना है। यह आध्यात्मिक और धार्मिक अर्थों में एक महत्वपूर्ण संकेत है, जो सत्य, ज्ञान और आनंद के प्रतीक के रूप में संबंधित होता है। इसे सौभाग्य, शुभकामनाएं और आशीर्वाद के साथ जोड़कर आमंत्रित देवी-देवताओं को सूचित करने के लिए भी उपयोग किया जाता है।
इस प्रकार, दीप प्रज्वलन मंत्र एक धार्मिक प्रथा है जो आध्यात्मिकता, भक्ति और श्रद्धा के अभिव्यक्ति का एक महत्वपूर्ण तत्व है।
इस तरह साधक दिपक स्थापना मंत्र से दीपक की स्थापना कर सकता हे और साधना में सफलता हासिल कर सकता हे.
यह भी पढ़े