दीपो जोपडी साधना से साधक बड़ा तांत्रिक बन सकता हे क्योकि दीपो जोपडी महेली विधा की देवी हे कोई भी काला जादू कर सकते हे, दीपो जोपडी की साधना साधक सात्विक और तामसिक दोनों रित से कर सकता हे,
दीपो जोपडी के साथ साथ साधक को ५२ वीर की कृपा द्रष्टि भी प्राप्त होती हे क्योकि दीपो माता के साथ ५२ वीर का पूरा खाता चलता हे यानि की दीपो जोपडी की सिद्धि से ५२ वीर की भी सिद्धि हो जाती हे, तो चलिए हम विस्तार से जानेंगे की माता दीपो जोपडी की साधना कैसे होती हे और साधना के दरमियान क्या क्या निति नियम का पालन करना पड़ता हे.
मंत्र
ॐ नमो भगवती काली धजानी देवी आवो दिपोबाई जोपडी,कामरू देशनो गढ़ तोडती आवो,मेलीविधा नी महाराणी आवो,आवो मारी कामरू देश नु भणतर भणनारी देवी आवो,ना आवो तो बावन वीरनी आण,तेथी ना आवो तो सात कुवासी ना नरक माँ पड़े,शब्द साचा पिंड काचा चलो मंत्र इश्वरो वाचा वाचा चुके तो उभी सूखे!!
सिद्ध करने की विधि
दीपो जोपडी साधना अमावस्या के दिन या नरक चतुर्दशी के दिन कर सकते हे ये साधना २१ दिन तक करनी हे,सुबह स्नानादिक और स्वच्छ होकर माता की प्रतिमा को एक बाजोठ पर स्थापित करे अगर आप किसी तांत्रिक या किसी जानकार के पास ये विधि कराओगे तो आपको कोई तकलीफ नहीं होगी क्योकि जो नए साधक हे उसको नहीं पता होता की माता का पूजन कैसे करे पंचामृत से कैसे स्नान कराये वो सब जानकारी नहीं होती इसलिए स्थापन विधि किसी जानकार के पास ही कराये,
स्थापन विधि हो जाने के बाद तुलसी की माला से उपर्युक्त मंत्र का ५ माला जाप करे,ऐसी तरह शाम को भी ५ माला का जाप करे,साधना के दरमियान जमीन पे ही सो जाये ये विधि आपको २१ दिन तक करनी पड़ेगी विधि हररोज एक ही रहेगी,साधना के आखरी दिन माता को गेहू में गुड और घी डालकर प्रसाद बनांये और एक नारियेल अर्पित करे,
दीपो जोपडी साधना के बिच में साधक को कई तरह के अनुभव होंगे पर साधक को डरना नहीं हे और साधना को बिना खंडित करे सम्पन्न करना हे इस तरह माता दीपो साधक पर कृपा करती हे और माता की सिद्धि मिल जाने के बाद साधक बड़ा तांत्रिक बन सकता हे.
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