Yakshini upasna

यक्षिणी का काम जिन्न और बेताल की तरह ही होता हे कोई भी कार्य हो यक्षिणी उस कार्य को करने सक्षम हे,आजकल के अघोरी और तांत्रिक यक्षिणी का प्रयोग वशीकरण और काला जादू करने के लिए करते हे, Yakshini upasna करके आप यक्षिणी की सिद्धि हासिल कर सकते हो,

    यक्षिणी की सिद्धि मिल जाने के बाद यक्षिणी को कभी भी गलत काम में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए वरना खुद साधक अहित हो सकता हे, कोई भी शक्ति का आप बुरा उपयोग करोगे तो खुद आपका बुरा होता हे,

तो चलिए विस्तार से जानते हे  Yakshini upasna कैसे की जाती हे उसके क्या क्या निति नियम हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,

यक्षिणियाँ भी मनुष्येतर जाति की प्राणी हैं। ये यक्ष जाति  के पुरुषों की पत्नियाँ हैं और इनमें  विविध  प्रकार  की शक्तियाँ सन्निहित मानी जाती हैं। विभिन्न  नामबारिणी  यक्षिणियाँ विभिन्न शक्तियों से सम्पन्न हैं- ऐसी तान्त्रिकों  को मान्यता है। अतः  विभिन्न  कार्यों  की सिद्धि  एवं  विभिन्न अभिलाषानों को पूति के लिए  तंत्र   शास्त्रियों  द्वारा विभिन्न  यक्षिणियों  के  साधन  की  क्रियाओं  का प्राविष्कार किया गया है । यक्ष जाति  यूँकि चिरंजीवी होती है, अतः पक्षिणियाँ भी प्रारम्भिक  काल  से अब तक विद्यमान हैं और वे जिस साधक पर प्रसन्न हो जाती हैं , उसे  अभिलषित वर  अथवा वस्तु प्रदान करती हैं।

अब कामरत्न  नामक  तन्त्र-ग्रन्थ  में  उल्लिखित यक्षिणी-साधन की विधियों का वर्णन किया जाता  है। उक्त  ग्रन्थ  में  लिखा  है कि साधन-काल में तथा उसके पश्चात् साधक को चाहिए कि वह मांस,  मदिरा एवं ताम्बूल (पान) का परि- त्याग कर  दे और किसी का स्पर्श न करे।

साधनकाल में प्रतिदिन प्रातःकाल नित्यकर्म से निवृत  हो, स्नान करके,  किसी  एकान्त स्थान में मृगचर्म पर बैठकर मन्त्र का तब तक  जप करे जब तक कि सिद्धि  प्राप्त  न हो। जिस यक्षिणी के साधन में  जिस विधि का उल्लेख किया  गया  हैं उसी  के  अनुसार आचरण करना  चाहिए ।  यक्षिणी का ध्यान करते समय  उसका  माता,  भगिनी,  पुत्री अथवा मित्र के रूप में चिन्तन करना चाहिए ।

Yakshini upasna

कालिका देवी यक्षिणी साधन

मन्त्र-

ॐ कालिकादेव्यै स्वाहा ।

साधन विधि-

गोशाला में  बैठकर  इस मन्त्र  का २००००  की संख्या में जप  करे  तथा  घृत  के साथ  दशांश  होम करे तो ‘कालिकादेवी   यक्षिणी ‘   प्रसन्न  होकर  मध्यरात्रि    में साधक को अभीप्सित वर प्रदान  करती है।

इस तरह साधक कमार्लोक्त यक्षिणी और कालिकादेवी यक्षिणी की सिद्धि हासिल कर सकता हे पर Yakshini upasna करके आपको इस सिद्धि का गलत प्रयोग नहीं करना हे.

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