रुद्राक्ष के कई प्रकार होते हे इसमें से एक हे द्वि मुखी रुद्राक्ष इस रुद्राक्ष का महत्व बहुत खास हे वैवाहिक सुख की प्राप्ति करने के लिए इस रुद्राक्ष को धारण किया जाता हे,समाज में मान,सन्मान और कीर्ति के लिए इस रुद्राक्ष को धारण किया जाता हे, आपको सब जगह रुद्राक्ष के बारे में पोस्ट मिल जाएगी पर वहा आधी अधूरी जानकारी ही मिलेगी कोई कहता हे रुद्राक्ष धारण करलो पर उसका सही विधि विधान कोइ नहीं बताता,
द्वि मुखी रुद्राक्ष को कैसे सिद्ध करते हे और फिर उसको कैसे धारण करते हे उसके बारे में विस्तार से इस पोस्ट के अन्दर आपको सम्जाऊंगा,
मंत्र
द्विमुखी रुद्राक्ष गणेश जी का मुखारविन्दम्
गणेश जी का धर्मभिषेक जगत के अंग
संग चली लक्ष्मी पुण्य हो जाय मनुष्य कर्म
ज्योति बने गणेश जी की सिद्धी हो जाय अंग
बुद्धि बढ़े और सिद्धी बढ़े जीव के अंग
महात्मा बनकर जो शिव को भजे शिव हो जाय संग
गणेश जी ने द्विमुखी रुद्राक्ष माना अंग
नर नारी दरिद्र हो पहनाओ अंग
द्विमुखी रुद्राक्ष सदैव रहे संग
जो मनुष्य द्विमुखी पहने रहे धर्म के संग
जय जय गणेश जी नर के चले संग
इति सिद्धम्
सिद्ध करने का विधान और प्रयोग
द्विमुखी रुद्राक्ष प्रेम का सागर है जिस मनुष्य को जीवन में प्यार नहीं मिलता वह मनुष्य इसे रुद्राक्ष को धारण करें और 108 बार गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति बनाकर 108 बार पाठ करें और इस रुद्राक्ष को धारण करने के बाद इस मन्त्र को मनन करें। यह मन्त्र शरीर के अन्दर शुद्ध प्रवाह धारण करायेगा और गणेश जी का आशीर्वाद सदैव के लिए मनुष्य पर हो जायेगा।
इस तरह साधक मेने दी गई विधि का उपयोग करके द्वि मुखी रुद्राक्ष को सिद्ध कर सकता हे और फिर उसको धारण कर सकता हे,बिना सिद्ध किये धारण करने से आपको कोई फायदा नहीं मिलेगा.
यह भी पढ़े