हमारे हिंदुस्तान में कई ऐसी जगह हे जहा भुत प्रेत,डाकिनी शाकिनी और चुडेल रहती हे अगर उसके छाये में कोई व्यक्ति आ जाये तो उस पर उसका प्रभाव दिखना शुरू हो जाता हे,इस शक्ति को नकारात्मक शक्ति भी बोलते हे ये शक्ति ज्यादातर लड़की या स्त्री को हेरान करती हे,कई चुडेल और डाकिनी ऐसी होती हे जो जल्दी पकड़ में नहीं आती पर में आज आपके समक्ष भुत प्रेत भगाने का शक्तिशाली शाबर मंत्र लेकर आया हु जिसको सिद्ध करके आप जनहित के कार्य कर सकते हो,
तो चलिए विस्तार से जानते हे भुत प्रेत भगाने का मंत्र कैसे सिद्ध होता हे और उसका प्रयोग कैसे किया जाता हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र
सूत्र बनावें बन बीच आनंद कंद रघुवीर
लखे सिय सम्मुख महं होय धीर मतिधीर
तेही समय लखन तहं आये
पूछहिं राम लखन बुलाये
बोले हरि कवन कारण तुम भाई
इत आवन बहु विलम्ब लगाई
लखन बोले गयऊं दूर पहारा
देखेउ तहां भूतदल झारा
तहां एकौ मानजु न दिखाये
निज आश्रम को छोड़ पराये
इतना हरि सुन बान चलायेऊ
भागे भूत आनंद गिरि भयेऊ
‘अमुक’ के अंग नहीं भूत नहीं भार
राम के नाम से भयो समुद्र पार
आदेश श्री श्री सीताराम की दोहाई।
मंत्र को सिद्ध करने का विधान
उपर्युक्त भुत प्रेत जाड़ने का मंत्र को ११ दिन तक सुबह और शाम एक माला करे,साधना से पहले गोरखनाथ की एक माला करे फिर मंत्र का जाप करे ११ दिन तक साधना करने से उपर्युक्त मंत्र सिद्ध हो जायेगा,
प्रयोग
यदि किसी स्त्री-पुरुष या बालक को भूत-प्रेत बाधा ने ग्रस्त कर रखा है, जिसके कारण वह अपनी स्वाभाविक मनःस्थिति में न रहकर, पगला-सा गया हो, पागलों जैसी हरकतें कर रहा हो, उस पर सवार प्रेतात्मा बोल रही हो तो उपरोक्त मंत्र को तीन बार पढ़कर, फूंक मारने से रोगी प्रेतबाधा से मुक्त हो जाता है। मंत्र में ‘अमुक’ की जगह रोगी का नाम लेना चाहिए। यदि एक बार में प्रेत रोगी को मेहकर न चला जाए तो इसी मंत्र से थोड़ा-सा गंगाजल अभिमंत्रित करके रोगी पर उसके छींटे मारने चाहिए। प्रेत चीखता हुआ भाग जाएगा।
इस तरह आप भुत प्रेत भगाने का मंत्र का प्रयोग करके रोगी को ठीक कर सकते हो और जनहित के कार्य कर सकते हो.
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