जिस प्रकार मुसलमान हाफिज और मौलवी वजीफा सिद्ध करने के समय एक लकीर अपने चारों ओर खींच लेते हैं। उसी प्रकार हिन्दू सिद्ध करने के लिये अपने चारों ओर लकीर खींच लेतें हैं। उसे ही भैरवी चक्र कहते हैं।
भैरव सिद्ध करने के समय प्रतिदिन उसी लकीर के भीतर बैठ कर मन्त्रों का जाप करना होता है, एकान्त तथा पवित्र स्थान हो, सुगन्धित पदार्थों के जलने की सुगन्धि आ रही हो। अभ्यासी को भैरव के सिद्ध होने का विश्वास हो तो अवश्य ही भैरव सिद्ध होगा। भैरव सिद्ध करने के अनेक मन्त्र हैं। उनके लिखने की यहां आवश्यकता नहीं। मन्त्रों की पुस्तक बाजार में मिल सकती है। चाहे जिस मन्त्र को याद कर लो। सुन्दर स्थान में हवन रूप में सुगन्धित पदार्थों को जलाओ, घृत का दीपक जोड़ो और सिन्दूर का तिलक लगाओ तथा अग्नि में मदिरा की आहुति दो । प्रिय सहस्र मन्त्र प्रति दिन एकाग्रचित्त हो मन- ही-मन में शान्ति के साथ जाप करो। थोड़े ही दिन में उसका चमत्कार ज्ञात होने लगेगा। बड़े-बड़े उपद्रव दृष्टिगोचर होंगे। ऐसा ज्ञात होगा मानो कोई तुम्हें जान से मारने के लिये भक्षण करने के लिये क्रोध कर दबाना चाहता है परन्तु तुमको भयभीत होना न चाहिये स्थिरता के साथ उस परिक्रमा को सिद्ध करने में लगे रहो। ३९ दिन तक अत्यन्त भयानक बातें दृष्टिगोचर होंगी परन्तु चालीसवें दिन भैरव सिद्ध होगा तुम्हारे हृदय में एक अद्भुत ज्योति और शक्ति उत्पन्न होगी। भैरव फिर तुम्हारा ओशकारी होकर रहेगा जिससे तुम्हारी समस्त इच्छाएं पूर्ण होंगी जिस काम के करने की भैरव को आज्ञा दी जायगी वह उसको तुरन्त करेगा। भैरव सिद्धि करने वालों को मांस मदिरा आदि से कोई परहेज नहीं होता। हां असत्य भाषण, रमण आदि हानिकारक हैं। कुत्तों की इन लोगों में विशेष प्रतिष्ठा होती है।
इस तरह आप भैरवी चक्र लगाकर भैरवी की साधना कर सकते हो.
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