मंत्र रचना

आज में इस पोस्ट में मंत्र रचना और अक्षरों का लक्षण क्या हे और उसका महत्व क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,

अ- गोल आसन, पीतवर्ण, कुंकुमगंध, नमक का स्वाद, जम्बूद्वीप  में  विस्तीर्ण, चतुर्मुख, अष्ट भुजायें, काले नेत्र, मुकुटधारी, श्वेतवर्ण, मोतियों के आभूषण, अत्यन्त गंभीर और पुल्लिंग।

आ-  पद्मासन,  गज  और सर्प वाहन, श्वेत वर्ण, शंख, चक्र,  पद्म  और अंकुश का धारण करने वाला, दो मुख और  आठ  भुजायें,  सर्पभूषण,  अत्यन्त शोभित, बड़ी कान्ति,  तीस सहस्र योजन वाला, विस्तीर्ण, स्त्री लिंगी।

चौखूटासन,  कछुआ  वाहन,  हेमवर्ण, वन आयुध एक योजन लम्बा,  दुगुना चौड़ा और ऊंचा, कषायला स्वाद, वज़  और वैडूर्य के वर्ण से अलंकृत, मंदस्वर, नपुंसक और  क्षत्रिय।  कमलासन,  वराह  वाहन , मंद  गूमन अमृतरस,  सुगन्ध,  दो  भुजायें,  फल और कमल का धारक,  श्वेतवर्ण, सौ योजन चौड़ा, दो सौ योजन ऊँचा, दिव्य शक्ति धारी, स्त्रीलिंग।

त्रिकोणासन, चकवा वाहन, दो भुजायें, मूसल और गदा आयुध,  धूमवर्ण,  कठोर  और  कटु स्वाद, सौ योजन चौड़ा,  दो सौ योजन ऊँचा, कठोर गंध, वशीकरण और

आकर्षण  करना।  त्रिकोणासन,  ऊँट  वाहन, रक्तवर्ण, कषाय  रस,  निष्ठुर  गंध,  फल  और फूल को लिए

हुए,  दो भुजायें,  नपुंसक  और सौ योजन विस्तीर्ण ।

मंत्र रचना

 

मंत्र रचना

ऊँट  का स्वभाव, ऊँट के जैसा स्वर, सौ योजन चौड़ा, दुगुना  लम्बा, ऊँट के मुख की सुगंधि जैसा रस, नाग आभरण और सब विघ्न।

ऋ- पद्मासन,  मोर  वाहन, कपिलवर्ग, चार भुजायें, सौ योजन चौड़ा,  दो  सौ  योजन  चमेली की गंध, मधुर स्वाद, हेम आभरण, नपुंसक।

जैसा  स्वभाव,  रस और स्वर, सौ योजन चौड़ा, दुगुना लम्बा,  शूरवीर  वाहन,  मूसल, माला और कमल लिये हुए,  चार भुजायें, कमलासन, नाग आभरण, सब विघ्नों का करना,  नपुंसक। लू- मोतियों का मुकुट, यज्ञोपवीत और  कुंडल  आभूषण, माला और कमल लिए हुए, दो भुजायें,  चमेली  की  गंध,  पचास योजन चौड़ा और दुगुना  लम्बा  नपुंसक,  क्षत्रिय  औ र उच्चाटन रूप।

जटा  और  मुकुटधारी, मोती का आभूषण, यज्ञोपवीत, शंख- चक्र  कमल  और परशु  लिए हुए, चार भुजायें, दिव्य  स्वाद,  सर्वप्रिय  सुगन्धि,  शुभ  लक्षण, गोल आसन और नपुंसक।

ऋ- लू- घोड़े  त्रिकोणासन, गरुड़ बाहन, त्रिशूल और गदा लिए  हुए.  दो भुजाय, अग्निवर्ण, निष्ठुर गंध, दूध का स्वाद , पर  स्वर,  दस  योजन  चौड़ा, दुगुना लम्बा, वशीकरण और आकर्षण शक्ति रखना।

ओ-  बैल  वाहन,  तपे हुए  सोने के समान वर्ण, सब शास्त्रों सहित, लोक और अलोक में व्याप्त, महाशक्ति, त्रिनेत्र,  बारह  सहस्र भुजायें, पद्मासन, सर्व देवताओं से पूज्य,  सब मंत्रों  को सिद्ध करने वाला, सब लोकों से पूज्य,  सबको  शांत  करने  वाला, सबके अनुग्रह रूप शरीर वाला,  पृथ्वी-जल  अग्नि-यजमान- आकाश-सूर्य और  चंद्र  आदि के करने वाला, (कर्ता), सब आभूषणों से युक्त, दिव्य स्वाद, सुगन्ध वाला, सबकी रक्षा करना, शुभ देह, स्थावर और जंगम का आश्रय, सब जीवों पर दया  करना,  परम  अव्यय और पंच अक्षर गर्भित ।

औ- गोल  आसन, चकवा वाहन कुंकुम गंध, पीतवर्ण, वन और  पाश धारण किये हुए, चार भुजाएं, कसायला स्वाद, श्वेत मालादि पहने, स्तम्भन शक्ति, सौ योजन विस्तीर्ण, दुगुनी लम्बाई।

अं-  पद्मासन श्वेत वर्ण, नीलकमल के समान सुगन्ध, कौस्मुभ  मणि  का आभरण,पद्य और पाश को लिए हुए, दो  भुजायें, यज्ञोपवीतधारी, प्रकामति, मधुर स्वाद, योजन चौड़ा और दुगुना लम्बा।

अ:-  त्रिकोणासन, पीतवस्त्र, कुंकुम गंध, धूम्रवर्ण,कठोर स्वर,  निष्ठुर  दृष्टि  नमकीन स्वाद, दो भुजाएँ, शूल आयुध,  निष्ठुर  गति, सुन्दर कृति, नपुंसक और शुभ कर्म बतलाना।

क-  चौबूंटा  आसन, चार दांत वाले, हस्ती की सवारी, पीतवर्ण,  सुगंधित  मालाओं और सुगंधित लेप सहित, स्थिर गति, प्रसत्र दृष्टि, दो भुजाएं, वज्र और मूसल के आयुध, जटा और मुकुटयारी, सब आभूषणों से भूषित, सहस योजन  चौडा,सहस योजन ऊँचा, पुल्लिंग, क्षत्रिय, इंद्रादि  देवताओं  वाली   स्तम्भन- शांति- पौष्टिक-

वशीकरण  और  आकर्षण  कर्म  की शक्ति सहित।

पिंगली  वाहन,  मोर की गर्दन के समान वर्ण, तोमर और  शक्ति  लिए हुए. दो भुजाएं, सर्पका यज्ञोपवीत, अच्छा स्वर,  तोस  योजन चौड़ा, आकाशगामी क्रिया,

क्षत्रिय,  सुगंधित  माला और अनुलेप युक्त, अग्नि के भी नगर को कंपाने वाला, सोचे हुए मनोरथ को सिद्ध करने  वाला और  पुल्लिंग  खकार का माहात्म्य है।

ग- हंस वाहन, पद्मासन, माणिक का आभरण, इंगलोक वर्ण,  हृदय को  प्रसन्न करने वाला, श्वेत वस्त्र वाला, सुगंधित  मालाओं और अनुलेप से युक्त, कुंकुम और

चन्दन को पसन्द करने वाला, क्षत्रिय, पुल्लिंग, सबको शान्ति करने  वाला, सौ योजन विस्तीर्ण, सब आभरणों से भूषित,  फल और पाश  को  लिए हुए, दो भुजाएँ,

यक्ष  आदि  देवताओं  वाला, अमृत का स्वाद, प्रसन्न दृष्टि गकार का माहात्म्य है।

ख-कमल से घ- ऊंट का वाहन, उलूक आसन, वज्र और गदा युक्त,  दो भुजाएँ, धूम्रवर्ण, सहस्र योजन विस्तीर्ण, हंस का स्वर,  कठोर गंध वाला, नमकीन स्वाद वाला, महाबली,  उच्चाटन-छेदन  मोहन और स्तम्भन कर्म करने  वाला,  पांच  सौ योजन विस्तीर्ण, नपुंसक रौद्र शक्ति,  क्षत्रिय,  सबको  शान्ति  करने  वाला  और महाबलवान देवता रुप घकार का माहात्म्य है।

सर्प  को  खाने  वाला,  दुष्ट  स्वर वाला, बुरी दृष्टि, दुराचारी,  करोड़ योजन चौड़ा, सहस्र योजन ऊँचा, कार्य का आसन,  रात्रि को पसन्द करने वाला, मूसल- गदा-

शक्ति- मुष्टि, भुशुडि और परशु लिए हुए, छ: भुजाएँ, नपुंसक,  यम  आदि  देवता रूप ङकार की शक्ति है।

सुन्दर  हंस  का वाहन, श्वेतवर्ण एक सौ करोड़ सहस्र योजन  अर्थात् दस खरव योजन चौड़ा, वज्र वैडूर्य और मोतियों के आभूषणों  से  भूषित, शुभचक्र फल और युक्त,  चार  भुजाएँ,  जय और मुकुटधारी, अच्छे स्वर वाला,  पुष्प  प्रिय, ब्राह्मणी और यक्ष आदि देवताओं वाला, चकार की शक्ति है।

छ-  मकर  वाहन,  कमलासन,  बड़े घंटे का सा स्वर , उदय  होते  सूर्य  के  समान  कांति, सहस्त्र योजन विस्तीर्ण, आकर्षण आदि  रौद्र कर्म करने वाला, अच्छे मन  वाला, सुगंधित,  श्यामवर्ण,  दिव्य  आभरणों से भूषित,  चार भुजाओं वाला, चक्र-वज्र- शक्ति और गदा आयुध, सब  कार्यों में सिद्धि करने वाला, गरुड़ देवता रूप छकार की शक्ति है।

शूद्र,  पुल्लिंग,  परशु-पाश-पद्म और वज्र लिए हुए चार भुजायें,  अमृत  का स्वाद, जय और मुकुटधारी, मोती और  हीरे के आभूषणों से सुसज्जित, वशीकरण और

आकर्षण कर्म करने वाला, सत्यवादी, सुगंध को पसन्द करने वाला, सौ कमलों के समान कांति और गरुणादि देवता रूप जकार का माहात्म्य है।

झ- पुरुष, वैश्य, धर्म-अर्थ काम और मोक्ष को आकर्षित करने  वाला,  कुबेर  आदि  देवता रूप, शंख और चक्र लिए हुए दो भुजायें,  मोती और हीरों के आभूषणों से

सुसज्जित,  सत्यवादी, पीतवर्ण, पद्मासन, सुगंधित और अमृतस्वाद झकार की  शक्ति है।

ज-  काकवाहन,  गंधक की गंध, कृष्ण वर्ण, दूत कर्म करने वाला, नपुंसक, सौ योजन विस्तीर्ण, त्रिशूल, परशु-निष्ठुर और गदा लिए हुए चार भुजाएँ, महाक्रूर स्वर, सब  जीवों  को  भय  करने वाला, शीघ्र चलने वाला, व्यभिचार  कर्म  से युक्त, नमकीन स्वाद, रौद्र दृष्टि और यम देवता रूप।

ट-  गोल  आसन, कबूतर का वाहन, कपिल वर्ण, वज्र और गदा लिए हुए दो भुजाएँ, ज-सौ योजन विस्तीर्ण, पुल्लिंग, मृदु  स्वर, मन्द गंध वाला, नमकीन स्वाद, शीतल स्वाभाव, सर्प  का यज्ञोपवीत और चन्द्र देवता रूप। चौखूटा आसन, गज  वाहन, शंख के जैसी प्रभा, वज्र  और  गदा  लिए  हुए दो भुजाएँ, जम्बूद्वीप के बराबर  विस्तीर्ण, अमृतस्वाद, पुल्लिंग, रक्षामोहन और स्तम्भन कार्य को करने वाला, सब आभरणों से भूषित क्षत्रिय देवता रूप।

चौखूटा  आसन,  शंख  के समान प्रभा, जम्बूद्वीप के बराबर  विस्तृत,  दूध  और  अमृत के समान स्वाद, पुल्लिंग,  वज्र  और  पद्म  लिए हुए दो भुजाएँ, रक्षा-स्तम्भन  और मोहन करने वाला, कपूर के जैसी गंध, सब   आभूषणों  से भूषित,   केले   का    स्वाद, अच्छे स्वर वाला, कुबेर देवता रूप।

चौखूटा  आसन,  मोहन  करने  वाला, जम्बूद्वीप के बराबर   विस्तृत,  पुल्लिंग,  परशुपाश-  वज्र- मूसल-भिण्डपाल, मुद्गर- धनुष-हल- बाण  लिए  हुए अष्ट भुजाएँ,  अच्छा स्वाद, अच्छा स्वर, सिंह के शब्द जैसी महाध्वनि,  रक्तवर्ण, ऊपर  को मुख वाला, दुष्टों का निग्रह  और शिष्टों (सज्जनों) का पालन करने वाला, सौ  योजन  विस्तीर्ण,  सहस योजन घेरे वाला, उसके आधे  परिणाम ऊंचा,  जटा और  मुकुटधारी,  अच्छी

गंध  निश्वास  युक्त,  किन्नर और ज्योतिष देवों से पूज्य,  महान्  धीरता  युक्त, प्रलयकाल की अग्नि के समान भयंकर, शक्ति, वशीकरण और आकर्षण करने वाला,  क्षणमात्र  में सिद्ध होने वाला और अग्निदेवता रूप  ढकार  की  शक्ति है। त्रिकोण आसन, व्याघ्र, सौ योजन   लम्बा,  उसके  आधा  चौड़ा,  छह  भुजाएँ,

चन्द्रमा- तोमर-भुशुण्डि- भिंडपाल- परशु  और त्रिशूल शस्त्रों  वाला,  कठोर गंध, शाप और अनुग्रह दोनों में समर्थ,  रौद्रदृष्टि,  नमकीन  स्वाद, नपुंसक और वायु देवता  पद्मासन,  गज वाहन, चमकते हुए आभूषण, सौ योजन  लम्बा, उसके आधा चौड़ा, चंपे की गंध, परशु-पाश-पद्म  और  शंख लिए हुए  चार भुजाएँ, पुल्लिंग, चन्द्रादि  देवताओं  से  पूजित, मधुर स्वाद, सुगंधप्रिय तकार की शक्ति है।

बैल  वाहन, आठ भुजाएँ, शक्ति-तोमर-परशु-धनुष-दंड-पाश- गदा और  चक्र का धारक, कृष्णवर्ण, कृष्णवस्त्र, जय-मुकुटधारी,  करोड़  योजन  लम्बा,  इसके  आधा

चौड़ा,  क्रूर  दृष्टि, कठोर गंध, धतूरे के रस को पसन्द करने वाला, सब काम और अर्थ को सिद्ध करने वाला, अग्नि देवतारूप थकार की शक्ति है।

महिष  वाहन, कृष्ण  वर्ण, तीन मुख, छ: भुजाएँ, गदा-मूसल- त्रिशूल- भुशुण्डि-  वज्र  और तोमर का धारक, करोड़  योजन विस्तीर्ण उसका आधा चौड़ा, दिगम्बर,

लोह  के  आभूषण  वाला,  सर्प के यज्ञोपवीत वाला, निष्ठुर  ध्वनि, कमल  को छुड़ाने वाले, मन्त्र को सिद्ध करने वाले, यम  देवता रूप,  कृष्णवर्ण  और नपुंसक दकार का माहात्म्य है।

ध-  पुल्लिंग, कषायवर्ण, तीन नेत्र,  चार योजन लम्बा चौड़ा, रौद्र कार्य को करने वाला, छह भुजाएँ, चक्र-पाश-गदा- भुशुण्डि-मूसल-  वज्र  और  बाण  के  धारक, कृष्णवर्ण,  काले  सर्प का यज्ञोपवीत, जटा और मुकुट के  धारक,  हुंकार  रूप महान् शब्द वाला, महान् शूर, कठोर  धूएँ को पसन्द करने वाला, रौद्र दृष्टि, नैऋति देवता रूप धकार की शक्ति है।

न-  कृष्ण  वर्ण,  नपुंसक,  त्रिशूल  और  मुद्गर के शस्त्रवाला,  उठे  हुए  बालों वाला, सब शरीर चमड़े से लिपटा  हुआ, रौद्र दृष्टि, कठोर स्वाद, कृष्ण, सर्प प्रिय, कौओ के  जैसा स्वर,  सौ  योजन लम्बा, उससे आधा चौड़ा, बिनौले- गूगल-तिल के तेल और धूप को पसन्द करने  वाला, दुर्जन  प्रिय, रौद्रकर्म  को  धारण करने वाला, यम आदि देवता रूप।

प-  कृष्ण  वर्ण  पुल्लिंग,  चमेली के फूल के समान गंध, दस सिर, बीस भुजाएँ, अनेक आयुध, मुद्रा में लीन, कोटि  योजन  चौड़ा, दुगुना लम्बा, तीन करोड़ योजन तक शक्ति वाला,  गरुड़ वाहन, पद्मासन, सब आभरणों से  भूषित,  सर्प का यज्ञोपवीत पहने, सर्व देवताओं से पूजित,  सर्व  देवोमय,  सब  दुष्टों के नाश करने में प्रलय के पवन के समान, चन्द्र आदि देवता रूप प्रकार की शक्ति है। बिजली  के समान तेज, पुल्लिंग, पद्मासन, सिंह वाहन, दस कोटि योजन लम्बा, उसके आधा चौड़ा, परशु और चक्र  लिए  हुए दो भुजाएँ, केतकी पुष्प की गंध, सिद्ध और  विद्याधरों  से  पूजित, मधुर स्वाद, व्याधि-विष और  दुष्ट  ग्रहों को नष्ट करने वाला, सबको अत्यंत आनंद  दायक  महादिव्य शक्तियुक्त, शान्ति कारक,ईशान देवता रूप प्रकार का माहात्म्य है। इंगलिका के समान प्रभावाला, दस करोड़ योजन ऊँचा. उससे  आधा  लम्बा- चौड़ा, मोतियों के आभूषण और यज्ञोपवीत  का  धारक,  दिव्य  आभरणों  से भूषित, शंख-चक्र-गदा-मूसल-कांड-कण धनुष-बाण और तोमर को लिए,  अष्ट भुजाएँ, हंस वाहन, कमलासन, बेर फल के  जैसा  स्वाद,  गंभीर स्वर, चंपे की गंध, वशीकरण और आकर्षण के प्रिय, कुबेर देवता रूप।

भ- नपुंसक, दस सहस्र योजन ऊँचा, उससे आधा घेरा, निष्ठुर  मनवाला,  रूखे  और कठोर स्वाद वाला, शीघ्र गति  से  चलने वाला, ऊर्ध्व मुख, तीन नेत्र, चक्र-शूल-  गदा  और  शक्ति लिए हुए चार भुजाएँ, त्रिकोणासन, व्याघ्र वाहन,  लाल  नेत्र,  तीक्ष्ण, ऊर्ध्वकेश, विकृतरूप, रौद्रकांति,  क्षणमात्र  में  शरण देने वाला, सिद्धि करने वाला,  फ-नैऋत्य  देवता  रूप  प्रकार की शक्ति है।

म- उदय होते हुए सूर्य के समान कांति, अनंत योजन प्रभा, सर्व व्यापि, अनन्तमुख, अनन्तबाहु, भूमि आकाश और  समुद्र  तक  दृष्टि, सर्व कार्य का साधक, अमर और  दीपन  करने  वाला, सब गंध की मालाओं और अनुलेप  युक्त,  धूप-चरु और अक्षत को पसन्द करने वाला, सब  देवताओं  में  रहस्य रूप, सब काम करने वाला, प्रलय काल की अग्नि के समान चमकने वाला, सबका  स्वामी,  पद्मासन,  अग्निदेवता रूप मकार की शक्ति है।

य- नपुंसक, भूमि-आकाश और सब दिशाओं में व्याप्त, अरूपी,  शीघ्र  और  मंद  दोनों  प्रकार की गतिवाला, प्रसन्नता  युक्त, व्यभिचार कर्मप्रिय, सब देवताओं की अग्नि  तथा प्रलय  की अग्निरूप, तीव्र  ज्योतिवाला, अनंतमुख,  अनंत  बाहु,  सब  कर्मों  का  कर्ता,  सर्व लोकप्रिय,  हरिण वाहन, गोलासन, अंजनवर्ण, महामधुर ध्वनि युक्त, वायव्य  देवता रूप यकार की शक्ति है।

नपुंसक,   सर्वव्यापि,   बारह   आदित्यों  के  समान प्रभायुक्त, अग्निस्वरूप कोटि योजन तक कांति वाला, सब लोकों का कर्ता, सर्व होम प्रिय, रौद्र शक्ति, स्त्रियों के  लिए पांच बाण, दूसरे की विद्या का नाशक, अपने कर्म  का साधक और मोहन करने वाला, त्रिकोणासन, अग्नि देवता रूप मकार की शक्ति है।

ल-  पीतवर्ण,  वज्र-चक्र-शूल और गदा लिए हुए चार भुजाएँ,  हस्तिवाहन,  स्तम्भन और मोहन करने वाला, जम्बूद्वीप प्रमाण विस्तृत, मंद गति को पसन्द करने वाला,  महात्माओं   लोक  अलोक  से  पूजित,  सब जीवधारी  रूप, चौखूटा आसन, पृथ्वी को जीतने वाला, इन्द्र देवता रूप लकार की शक्ति है।

व-  श्वेतवर्ण,  बिंदु  सहित,  मधुर  नमकीन  स्वाद नपुंसक,  मकर वाहन, पद्मासन, वश्य- आकर्षण, निर्विष और शांत  कर्मों  को करने वाला, वरुणादि देवतारूप वकार की शक्ति है।

श-  रक्तवर्ण,  दस सहस्र योजन लम्बा, उसका आधा चौड़ा, चंदन की गंध, मधुर स्वाद, मधुर रस, चकवे पर चढ़े  हुए, कमलासन, शंख-चक्र-फल और पद्म लिए हुए चार  भुजाएँ,  प्रसन्न  दृष्टि, अच्छे मन वाले, सुगंधित धूपप्रिय,  लाल हार, सुन्दर आभूषण  तथा जटा और मुकुट पहने  हुए, वश्य-आकर्षण-शांतिक और पौष्टिक कर्मों  के  कर्ता, अत्यंत प्रकाशित, विद्या  को धारण करने  वाले,  चन्द्र आदि देवता रूप शकार की शक्ति है।

पुल्लिंग, मोर की शिक्षा के समान वर्ण, फल और चक्र लिए दो भुजाएँ, प्रसन्न दृष्टि, एक योजन लम्बा, इसका आधा चौड़ा, खट्टा रस, सुंदर गंध, कूर्मासन, घ-बीजों का प्रयोजन ये अक्षर स्त्रीलिंगी हैं-

इ,  ऊ,  व,  रू, ण। ये अक्षर विकल्प से स्त्रीलिंगी हैं-

ऋ ऋ लू लू ङ ज ण न म  द ए ऐ उ ऊ। ये  अक्षर विकल्प  से  नंपुसक लिंगी हैं – ज, य, म।  शेष  अक्षर पुल्लिगीं हैं।

इस  प्रकार अक्षरों के तीन प्रकार के गण करें। नाम का  विकल्प  से  प्रयोग करना  चाहिए।  इस प्रकार नपुंसक अक्षर कहेंगे।

ई, ष, ल लू और ऊ पीत अक्षर हैं।

ज झ ज ट ग  ऋ ऋ ष, ण, य, द, क्ष और र कठिन भेद और  कार्य-कारण संबंध वाले कार्यों को करते हैं। शेष अक्षर मिले हुए तिल और चावलों के समान होते हैं। मंत्र को  जानने वाले मनुष्य अपनी बुद्धि से  काम लें।

अकार  आकार का प्रति  षेधक है। अकार बिन्दु सहित होने  पर शांतिक,  पौष्टिक, वश्य और आकर्षण कर्मों को करता है।

उ  ऊ  ऋ  ए ऐ और अनिर्विष कर्म तथा व्यभिचार करते  हैं। अकार  सबका  उच्चाटन करता है। खकार निर्विष कर्म को और विकल्प से वशीकरण करता है। धकार  वशीकरण;  किन्तु  विकल्प से स्तंभन, भेदन और  व्यभिचार  कर्मों  को करता  है। चकार और छकार   शातिक   और  पौष्टिक को करता है और विकल्प  से  भेद  और  व्यभिचार  को  करता  है।

निर्विष  करता  है  और  विकल्प  से  स्तंभन और व्यभिचार करता है।

आकर्षण को और विकल्प से व्यभिचार को भी करता है।

वश्य और व्यभिचार को करता है व्यभिचार को करता है  शांति और पौष्टिक करता है। व्यभिचार करता है।

शान्तिक  और पौष्टिक करता  है। ओभ और स्तंभन करता है।  सर्व  कर्मों को और विकल्प से सब सिद्धि को  करता है। सब व्यभिचार के कर्म और विकल्प से आकर्षण करता है।

स्तंभन, वशीकरण, मोहन तथा विकल्प से निर्विष करता है। शांतिक, पौष्टिक, वश्य और आकर्षण करता  हैं। स्तंभन  और  मोहन करता है। वाणी की सिद्धि  करता  है। सब कार्य करता  है। सब योगों को करने वाला है। त थ द ध न प फ ब भ म ल व श ष स ह क्ष

इस तरह मंत्र रचना में अक्षरों का लक्षण और माहात्म्य  होता हे.

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