मंत्र की सिद्धि करना कोई बच्चो का खेल नहीं हे मंत्र को सिद्ध करने के लिए साधक को सही विधि विधान का अनुसरण करना पड़ता हे तब जाकर ही वो सफलता हासिल कर सकता हे जब तक आप सही विधि विधान का अनुसरण नहीं करोगे तब तक आपको सफलता नहीं मिलेगी,
तो चलिए विस्तार से जानते हे मंत्र सिद्ध करने की विधि और जाप करने की विधि क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र सिद्ध करने की विधि और जाप करने की विधि धार्मिक और आध्यात्मिक प्रयोजनों के लिए विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं में प्रचलित है। यहां मैं विभिन्न मंत्रों को सिद्ध करने और जाप करने की एक सामान्य विधि बता रहा हूं।
मंत्र सिद्ध करने की विधि:
अध्ययन और अनुसंधान:
पहले, सिद्ध करने के लिए आपको जिस मंत्र को सिद्ध करना है, उसका अध्ययन करें और उसके अर्थ को समझें। इससे आपको मंत्र के महत्व और उसके प्रभाव की अधिक ज्ञान होगा।
शुद्धि करना:
सिद्धि के लिए आपको शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्धि करना आवश्यक होता है। इसके लिए स्नान और ध्यान आदि कर सकते हैं।
व्रत और उपवास:
कुछ मंत्रों को सिद्ध करने के लिए व्रत और उपवास का पालन करना आवश्यक होता है। यह मंत्र के प्रभाव को अधिक शक्तिशाली बनाता है।
गुरु की कृपा:
आपको अपने जीवन के इस अहम मार्ग में एक अनुभवी गुरु की मार्गदर्शन की आवश्यकता होगी। गुरु के मार्गदर्शन से आपको उच्चतर विचार और विद्या प्राप्त हो सकती है।
सिद्धि का समय:
निश्चित समय में मंत्र सिद्ध करने की कोशिश करें, जैसे रात्रि के विशेष समय, अथवा किसी शुभ नक्षत्र के दिन।
योग्य स्थान:
मंत्र सिद्ध करते समय एक शुद्ध और शांत स्थान चुनें, जहां कोई भी विघ्न न हो।
मंत्र सिद्ध करना:
मंत्र सिद्धि के लिए आपको जाप की विधि के अनुसार मंत्र का अभ्यास करना होगा। ज्यादातर मंत्रों का जाप माला के साथ किया जाता है। आप जाप को एकाग्रता से करने का प्रयास करें और अपने मन को एकाग्र करें।
मंत्रों के जाप की विधि:
माला का चयन:
पहले, अपने जाप के लिए एक माला का चयन करें। माला आम तौर पर 108 मनके होते हैं, लेकिन आप भी 27 मनके वाली माला का चयन कर सकते हैं और उसे चार बार पूरा करके 108 मनके जाप कर सकते हैं।
बैठक:
ध्यान के लिए एक स्थिर और शांत स्थान पर बैठें। अपने स्पष्ट उद्देश्य को सोचें और मन्त्र का जाप करने के लिए तैयार हों।
प्राणायाम:
जाप से पहले कुछ बार गहरी सांस लें और धीरे से छोड़ें। इससे आपका मन शांत होगा और आप ध्यान में ज्यादा समर्थ होंगे।
मंत्र जाप:
अपने उद्देश्य के अनुसार मंत्र का जाप करें। माला के मनके एक बार पूरा करने पर मंत्र को एक मन्त्रात्मक शक्ति से चारों ओर बांधें। फिर से नए मनके की ओर जाने से पहले उसे पहले वाले मन्त्र से विचलित न हों, बल्कि मंत्र के अर्थ पर ध्यान केंद्रित करें।
ध्यान:
जाप के दौरान मन को एकाग्र करें और अन्य विचारों को दूर भगाएं। मंत्र के शक्तिशाली प्रभाव का अनुभव करें और इसे अपने जीवन में एक उपयोगी साधना बनाएं।
ध्यानावसान:
जाप के अंत में, अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए धन्यवाद करें और शांति और आनंद के साथ ध्यान से बैठे रहें।
यह ध्यान और साधना का एक सामान्य विधान है और व्यक्तिगत आध्यात्मिक संदर्भ और परंपरा के अनुसार भिन्न हो सकता है। इसलिए, यदि आप किसी विशेष मंत्र को सिद्ध करना चाहते हैं तो एक अनुभवी गुरु या संबंधित पंडित से सलाह लेना सुरक्षित और उपयुक्त होगा।
मंगलाष्टक पढ़ें, पात्र शुद्धि (स्वयं की शुद्धि) दिग्बंधन, रक्षा मंत्र, रक्षा सूत्र, यज्ञोपवीत धारण, दीपक स्थापना, कलश स्थापना, यंत्र स्थापना, यंत्राभिषेक, पूजा, आरती, आसन गृहण, जाप संकल्प और फिर मौन ग्रहण करके मन्त्र का उत्कीलन करके एवं मन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा करके ही जाप शुरु करें।
इस तरह साधक सही विधि और विधान का अनुसरण करेगा तो उसको जरुर मंत्र सिद्धि होगी और मंत्र को जागृत कर पायेगा.
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