किन्नरी की साधना ज्यादातर किन्नर समाज के लोग करते हे ये साधना तामसिक क्रिया से सिद्ध करनी पड़ेगी और किन्नर को पत्नी के रूप में आपको सिद्ध करना पड़ेगा,आज में आपको मनोहारिणी किन्नरी साधना देने वाला हु जिसको सिद्ध करके आप उसकी सिद्धि हासिल कर सकते हो,
किन्नरी की साधना ज्यादातर पर्वत पर बैठकर की जाती हे और उसकी विधि थोड़ी अलग होती हे,जो साधक किन्नर साधना करना चाहता हे वो किसी योग्य किन्नर गरु का सम्पर्क करके उसका मार्गदर्शन लेकर किन्नरी की साधना कर सकता हे, में तो यहाँ इस पोस्ट में आपको पूरी जानकारी देने वाला हु पर आप कोई किन्नर गुरु का मार्गदर्शन लेकर साधना करोगे तो आपको साधना करने कोई दिक्कत नहीं आ सकती,
तो चलिए विस्तार से जानते हे मनोहारिणी किन्नरी साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे.
मंत्र
“ॐ मनोहारिणी हो”
साधन विधि-
साधक को चाहिए कि वह किसी पर्वत के शिख पर बैठकर उक्त मन्त्र का पाठ सहस्त्र की संख्या में जप करे । जप समाप्त हो जाने पर नीलगाय के मांस से पूजन कर गूगल की धूप देकर पुनः जप करना चाहिए। इस विधि से साधन करने पर अर्ध रात्रि के समय ‘मनोहारिणी किन्नरी’ साधक के समीप आती है।
साधक को चाहिए कि वह उसे देखकर भयभीत न हो। जब किनरी आकर कहे-“तुम मुझे क्या आग्ना देते हो ?” उस समय साधक उत्तर दे-“तुम मेरी पत्नी हो जाओ। यह सुनकर किन्नरी साधक की भार्या होना स्वीकार कर लेती है तथा साधक को अपनी पीठ पर चढ़ाकर स्वर्ग का दर्शन कराती है और उसे भोजन तथा अन्य अभिलाशीत वस्तुएँ प्रदान करती है।
इस तरह साधक मनोहारिणी किन्नरी साधना करके किन्नरी की सिद्धि हासिल कर सकता हे और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हे.
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