यक्षिणी कई प्रकार की होती हे और इसको सिद्ध करने की विधि भी अलग अलग होती हे,सब यक्षिणी का भोग भी अलग अलग होता हे,जब साधक कोई भी यक्षिणी की साधना करना चाहे तो उसको पहले अपने इष्ट देव यानि की कुलदेवता की जरुर आज्ञा लेनी चाहिए,क्योकि यक्षिणी की साधना में सावधानी रखना बहुत जरुरी हे,हम यहाँ महा यक्षिणी साधना के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे.
अगर ये साधना गुरु के सानिध्य में करोगे तो आपको सफलता जरुर मिलेगी अगर कोई गुरु नहीं हे तो साधक किसी तांत्रिक का मार्गदर्शन लेकर भी इस साधना को सम्पन्न कर सकता हे,
इस पोस्ट में हम महा यक्षिणी साधना के बारे में और उसके विधि विधान के बारे में जानेंगे,
मंत्र
ॐ क्लिं ह्रीं ॐ श्री महा यक्षिणी सर्वेस्वर्य प्रदाये नमः!!
मंत्र को सिद्ध करने का विधि विधान
महा यक्षिणी साधना ३ दिन की साधना हे,साधना बिली के वृक्ष के निचे होगी,जिस जगह पर साधना करने बैठो उस जगह को गंगाजल या सुगन्धित इतर से पवित्र कर ले,
साधना से पहले अपने इष्ट देव का स्मरण कर ले और संक्षिप्त गणेश पूजन करे,फिर रुद्राक्ष की माला से उपर्युक्त मंत्र १००० बार जाप करे यानि की ३ दिन में साधक को ३००० जाप पुरे करने हे,साधना के समय आपको दारु और मांस का भोग अवश्य लगाना हे तीन दिन तक भोग लगाये,जब महा यक्षिणी प्रसन्न होकर आपके सामने दर्शन दे तो उसको भोग अर्पित करे और वचन में बाँध ले,
महा यक्षिणी सिद्ध हो जाने पर वो साधक को इच्छित वर प्रदान करती हे और साधक की हर समस्या का समाधान करती हे,
साधना के दरमियान पालन करने के कुछ खास नियमो
१)साधना के दरमियान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक हे.
२)साधना के दरमियान दारु और मांस का सेवन ना करे.
३)पराइ स्त्री को माता के रूप में देखे.
४)महा यक्षिणी किसी भी रूप में आ सकती हे तो उसको माता के रूप में ही देखे क्योकि वो साधक को भ्रमित करने के लिए कई सारे रूप बदलती हे.
५)साधना के बिच में अलग आवाज़ और ध्वनि भी सुनाई देती पर साधना को खंडित ना करे अगर साधना खंडित करोगे तो उल्टा नुकसान आपको होगा.
इस तरह साधक महा यक्षिणी साधना करके सिद्धि हासिल कर सकता हे.
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