मारण मंत्र साधना

हमारे तंत्र शास्त्र में षट कर्म का उल्लेख किया गया हे उन षट कर्म में से एक कर्म मारण कर्म होता हे और ये कर्म बहुत ही खतरनाक कर्म माना जाता हे,मारण मंत्र साधना ज्यादातर स्मशानिक क्रिया से किया जाता हे और बहुत ही तीव्र गति से कार्य भी करता हे,मारण मंत्र बहुत सारे देवी देवता के आते हे जैसे हनुमानजी का मारण मंत्र,महाकाली का मारण मंत्र,भैरव का मारण मंत्र और नरसिंह का मारण मंत्र बहुत तेज़ गति से कार्य करता हे,

मारण क्रिया का तब प्रयोग करना चाहिए जब आपका शत्रु आपको हद से ज्यादा हेरान करने लगे और वो किसीकी बात ना माने तब जाकर आपको मारण क्रिया का प्रयोग करना चाहिए,

तो चलिए विस्तार से जानते हे मारण मंत्र साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,

मारण मंत्र साधना

मंत्र

ॐ हीं अमुकस्य हन हन स्वाहा:

विधि-

कनेर के दस हजार फूल कर्ड के तेल

में भिजो के बैरी का नाम मंत्र में ले तो बैरी मरे।

तथा –

ॐ नमोः हाथ फावड़ी कांधे कामरी

भैंरू बीर मसाणे खड़ा लोह का धनी बज्र का

बाण वेग ना मारे तो देवी का लंका का की

आण गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो

वाचा सत्य नाम आदेस गुरु का।

विधि –

दिवाली की रात्रि को चौका दे दीपक

जराय। गूगर खेवे उड़द मंत्र के दीया की लौ पर

मार ता जाय १०८ तथा १२१ फिर काले कुत्ते

का लोही उड़दी परल भव सख तमला राखे

उड़द मंत्र के बैरी के मारे।

अन्य प्रकार –

ॐ नमोः काल रूहाय अमुक को  भस्म कुरू कुरू स्वाहा ।

विधि १-

मनुष्य का हाड़ ताम्बूल में रख के १०८ बार मंत्र के जिसको खवा वे वो मरे । इस तरह साधक मारण मंत्र साधना का प्रयोग करके शत्रु का मारण कर सकते हो.

यह भी पढ़े

खडग मारण प्रयोग

काल भैरव की हांड़ी भेजकर मारण

शत्रु मारण प्रयोग

स्मशान जागृत करने की विधा

दिवालन साधना

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here