माहेन्द्री यक्षिणी साधना

जिस  किसी भी यक्षिणी की साधना करनी हो, उसका माता, भगिनी (बहन), पुत्री अथवा मित्र, इनमें से किसी भी स्वरूप का  ध्यान   करे।   मांस-रहित  भोजन  करे,  पान  खाना  छोड़   दे,  किसी  का  स्पर्श   न  करे    यक्षिणी भैरव   सिद्धि   का,   तथा  निश्चिन्त होकर  एकान्त  स्थान   में  मन्त्र   का   तब   तक जप   करे  जब   तक  सिद्धि प्राप्त न हो।   जिन  यक्षिणियों  के   साधना   के   लिए  जिस   स्थान    पर  बैठकर   मंत्र   जाप की विधि का वर्णन किया गया  है उनकी साधना उसी प्रकार से करना चाहिए। माहेन्द्री यक्षिणी साधना आप हमारे बताये गई निर्देश का पालन करके कर सकते हो,

यक्षिणी सिद्धि करके आप उनसे हर कार्य करवा सकते हे पर आपको उनसे बुरे कार्य नहीं करवाने हे अगर आप उनसे बुरे कार्य करवाओगे तो आपका ही बुरा हो सकता हे,

तो चलिए विस्तार से जानते हे माहेन्द्री यक्षिणी साधना कैसे करते हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,

माहेन्द्री यक्षिणी साधना

मन्त्र

 ॐ माहेन्द्री दुलु कूलु हंसः स्वाहा।

साधन विधि

साधना करने से पहले ये सोच ले की जब तक यक्षिणी प्रगट ना हो तब तक साधना शुरू ही रखनी हे बिच में साधना को छोडनी नहीं हे,साधना खंडित करोगे तो आपको ही नुकसान भुगतना पड़ेगा,साधना से पूर्व आप अपने इष्टदेव का स्मरण कर ले और गणेश पूजन कर ले फिर सुरक्षा घेरा लगाकर साधना का प्रारम्भ करे,

आपको उपवास करके, इन्द्रधनुप के उदयकाल से प्रारम्भ कर, एक निर्गुण्डी के वृक्ष के नीचे बैठकर इस  मन्त्र  का १००००० जप करके दशांश हवन करने  से  ‘माहेन्द्री यक्षिणी’ प्रसन्न होकर  साधक को पाताल  से  सिद्धि लाकर देती है, तथा भेंट-भोग लगाती है ।१००००० जाप आपको एक ही बैठक में पूर्ण करने पड़ेंगे जब तक १००००० जाप सम्पूर्ण नहीं होते तब तक साधना को बिच में ना छोड़े,

इस तरह साधक माहेन्द्री यक्षिणी साधना करके उसकी सिद्धि हासिल कर सकता हे और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हे.

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