इस मंत्र की खासियत ये हे की इस मंत्र से मनुष्य आने वाली परेशानी से आपत्ति से मुक्ति पा सकता हे, यदि जीव जीवों पर आपत्ति आ जाये तब इस मंत्र का जाप करके मनुष्य आपत्ति को आसानी से टाल सकता हे, एक समय ऐसा आएगा पूरी दुनिया में कलियुग फेल जायेगा कोई किसीका नहीं रहेगा मनुष्य मनुष्य पर ही आपत डालेंगे चारो तरफ जूठ जूठ ही रहेगा आपको कही सत्य देखने को नहीं मिलेगा,
मनष्य मनुष्य का दुश्मन हो जायेगा और जिव एक दुसरे के दुश्मन बन जायेंगे, जो लोग सत्य का पालन करेगा वो बस्ती छोड़कर वीरान जगह पर चले जायेंगे, यदि ऐसी परिश्थिति हो जाये तो मनुष्य को मेरे दिए गए शक्तिशाली मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए,
यदि जीव जीवों पर आपत्ति आ जाये तब मनुष्य को इस मंत्र का जाप कैसे करना चाहिए उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र
ॐ जाणपरियाणी जगत फिरूशति
नक्षतरे नक्षतरे जड जड फट् फट् स्वः
नौ नक्षतरे अधर्मी प्राणीयायाम्
नष्टम नष्टम करिष्यति
धरती मात्रे फत्फट स्वः
प्राणी कर्मम अधर्मी नर नर फट फट स्व:
पंचम जयाफलम धुनि प्रविष्यामि
प्राणी अधर्मी नष्टम नष्टम करिश्यति करिश्यति
मदांन्दिनि काल रात्री मिरूयामी
ग्रहस्थीम् काल काल रात्रे
थथामि थथामि वः फट फट स्वः
धरती धरतीम नीलाम्बर फटतः
स्वः स्वः अधर्मी जीवन फटतः फटतः स्वः
इति सिद्धम्!!
विधि विधान
जब मनुष्य पर आपत्ति आ जाये तब मनुष्य को उपर्युक्त मंत्र का जाप करना चाहिए, ऐसी परिश्थिति में मनुष्य को लगातार ४१ दिन तक जाप करने से सारी मुश्केली और आपत्ति का विनाशा हो जायेगा, इस मंत्र का प्रयोग संकट नाश के लिए भी किया जाता हे,
इस तरह साधक यदि जीव जीवों पर आपत्ति आ जाये तब इस मंत्र का प्रयोग कर सकता हे और आनेवाले संकट का निवारण कर सकता हे.
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