यक्षिणी की साधना माता,बहेन या पत्नी के रूप में करनी चाहिए,यक्षिणी की साधना तुरंत फल देने वाली साधना हे इसमें आपको थोड़े से नियमो का भी पालन करना पड़ता हे अगर सही विधि विधान से यक्षिणी की साधना करोगे तो आपको १००% सफलता मिलती हे,आज में आपके समक्ष विशाला यक्षिणी साधना लेकर आया हु जिसको सिद्ध कर के आप अपनी हर मनोकामना पूर्ण कर सकते हो,
ज्यादातर यक्षिणी साधना एक दिन की होती हे और मंत्रजाप सवा लाख होते हे पर साधक इसे पूर्ण करने में असक्षम रहता हे जब सवा लाख मंत्र जाप पूर्ण न हो तब साधक को साधना स्थल से हटे बिना दुसरे दिन मंत्रजाप करना चाहिए,जब तक सवालाख मंत्रजाप पूर्ण ना हो तब तक साधना शुरू ही रखनी चाहिए आप कम से कम ३ दिन तक साधना कर सकते हे इससे ज्यादा लम्बी साधना नहीं कर सकते अगर ३ दिन में साधना पूर्ण नहीं होती तो आपको सिद्धि भी हासिल नहीं होती,
तो चलिए विस्तार से जानते हे विशाला यक्षिणी साधना के बारे में और उसको कैसे सिद्ध करे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे,
मंत्र:-
“ॐ ऐं विशाले क्रीं ह्रीं श्रीं क्लीं कीं स्वाहा।”
साधन विधि-
साधना एक दिन में करो या तीन दिन में करो आपको दारू और मांस से दूर रहना पड़ेगा और साधना करने से पहले गुरु पूजन,इष्ट पूजन और गणेश पूजन अवश्य करे फिर साधना का प्रारम्भ कर सकते हे,रुद्राक्ष की माला से या काली हकिक की माला से मंत्रजाप करे,
साधना के दरमियाँन आपको जरुर अनुभव होता हे कई बार तो ऐसा लगता हे की कोई स्त्री आपके पास आकर बैठ गई हे पर आपको साधना छोड़कर भागना नहीं हे और गभराना भी नहीं हे,साधना को खंडित ना करे,
चिरमिटी के वृक्ष के नीचे पवित्र होकर इस मंत्र का सवा लाख जप करे तथा सौंफ के फूलों को घी में मिलाकर हवन करे तो ‘विशाला यक्षिणी’ प्रसन्न होकर साधक को दिव्य रसायन भेंट करती है।
इस तरह साधक विशाला यक्षिणी साधना करके दिव्या रसायन प्राप्त कर सकता हे.
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