शिरोपीड़ा निवारक मंत्र

शिरोपिडा यानि की आधाशीशी ऐसा दर्द हे इसको सहन करना सबके बसकी बात नहीं हे शिरोपिडा का दर्द कभी कभी ऐसा हो जाता हे की उसमे कोई सारवार या डाक्टर काम नहीं करता हे लाख कोशिश करने के बावजूद भी आप इस दर्द से छुटकारा नहीं पा सकते हो,पहले आपको असपता में जाना चाहिए और डाक्टर से इलाज भी करवाना चाहिए जब ये दर्द डाक्टर से ना मिटे तो तब जाके आपको मंत्र तंत्र का सहारा लेना चाहिए,आज में आपको इस पोस्ट के जरिये शिरोपीड़ा निवारक मंत्र लेकर आया हु जिसका प्रयोग करके आप आधाशीशी और शिर दर्द से आराम पा सकते हो,

मानसिक तनाव की अधिकता, मादक द्रव्यों का अत्यधिक सेवन, भय और अनिद्रा जैसे कारणों से शिरोपीड़ा रोग अर्थात सिर में पीड़ा उत्पन्न हो जाती है। यह रोग कभी-कभी उग्र रूप ले लेता है। मृत्यु से भी अधिक दारुण यंत्रणा इसमें झेलनी पड़ती है। मानसिक तनाव कभी-कभी इतना अधिक बढ़ जाता है कि मस्तिष्क की शिराएं फट जाती हैं (जिसे ब्रेन हेमरेज कहते हैं) और मृत्यु एक तरह से निश्चित हो जाती है। निम्नलिखित शाबर मंत्र इस रोग में लाभकारी है।

शिरोपीड़ा निवारक मंत्र

मंत्र

ॐ नमो आज्ञा गुरु को, केश में कपाल, कपाल में भेजा बसै, भेजा में

कीड़ा कीड़ा करे न पीड़ा, कंचन की छैनी, रूपै का हथौड़ा, पिता ईश्वर

गाड़, इनके श्रापे को महादेव तोड़े, शब्द सांचा पिण्ड काचा, फुरो मंत्र

ईश्वरो वाचा।

मंत्र को सिद्ध करने का विधि विधान

किसी शुभ दिन अथवा रविवार या मंगलवार को इस मंत्र का एक सौ आठ जप करके व इक्कीस बार लोबान की आहुति देकर सिद्ध कर लें। जब कभी

शिरोपीड़ा का रोगी आए, तो उसे सामने बैठाकर मंत्र को पढ़ते हुए थोड़ी-सी राख जमीन पर बिछाकर और उंगली से उसे सात बार काटें तथा सात बार फूंक कर रोगी के सिर पर मारें। दो-तीन दिन के प्रयोग से ही रोगी को आराम हो जाएगा। फिर आगे भी कभी शिरोपीड़ा नहीं होगी।

इस तरह आप इन शिरोपीड़ा निवारक मंत्र का प्रयोग करके आधाशीशी और सिरदर्द से छुटकारा पा सकते हो.

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