जो साधक मित्र हे उसको पता ही होगा अप्सरा क्या हे और अप्सरा कोण कोण से कार्य करने में सक्षम हे, आज में आपको साबर उर्वशी मंत्र देने वाला हु जिसको करके आप उर्वशी अप्सरा की सिद्धि हासिल कर सकते हो,
तो चलिए विस्तार से जानते हे साबर उर्वशी मंत्र कैसे सिद्ध होता हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र
ॐ नमो आदेश गुरु को आदेश गुरुजी के मुंह में ब्रह्मा उनके मध्य में विष्णु और नीचे भगवान महेश्वर स्थापित है, उनके सारे शरीर में सर्व देव निवास करते है, उनको नमस्कार। इन्द्रकी अप्सरा, गन्धर्व कन्या उर्वशी को नमस्कार। गगन मण्डल में घुंघरू ओ की ज़कार और पाताल में संगीत की लहर। लहर में उर्वशी के चरण चरण में थिरकन थिरकन में सर्प । सर्प में काम वासना कामवासना में कामदेव कामदेव में भगवान शिव भनवान शिव ने जमीन पर उर्वशी को उतारा। स्मशान में धूनी जमाई। उर्वशी ने नरुत्य किया। सात दीप नवखण्ड में फूल खिले, डाली ज़ुमी। पूर्व-पश्चिम, उतर-दक्षिण, आकास –पाताल में सब मस्त भये। मस्ती में एक ताल दो ताल तीन ताल,मन में हिलोर उठी हिलोर में उमंग, उमंग में ओज, ओज में सुन्दरता, सुन्दरता में चन्द्रमुखी, चन्द्रमुखी में शीतलता, शीतलता में सुगंध और सुंगध में मस्ती। यह मस्ती उर्वशी की मेरे मन भाई। यह मस्ती मेरे सारे शरीर अंग-अंग में लहेराय, उर्वश इंद्रा की सभा छोड़ मेरे पास आवे। मेरी प्रिया बने हरदम मेरे साथ रहे,मेरो कहियो करे,जो कहू सो पूरा करे, सोचु तो हजार रहे, यदि ऐसा न करे तो दस अवतार की दुहाई ग्यार रौद्र की सौगंध, बारह सूर्य को वज्र तेतीस कोटी देवी-देवता ओं की आन मेरो मन चढ़े, अप्सरा को मेरो जीवन उसके श्रुंगार को। मेरी आत्मा उसके रूप को और में उसको वह मेरे साथ रहे। धन, यौवन सम्पति, सुख दे कहियो करे हुकुम माँने हुकम भार से लदी मेरे सामने रहे।जो एसो न करे, तो भगवान शिव को त्रिशुल और इंद्र को बज्र उस पर पड़े।
विधि
यह मंत्र अपने आप में ही पूर्ण सिद्धि दायक मंत्र है। शाबर मंत्र सीधे सरल और स्पष्ट होते हैं. इसीलिए उनके उछारण में किसी प्रकार का दोष व्याप्त नहीं होता। इस मंत्र का बार बार उच्चारण करना पर्याप्त है पर यदि साधक चाहे १०८ बार उच्चारण कर सकता है. पर इससे ज्यादा इस मंत्र का उच्चारण करने की जरूरत नहीं है। दूसरे दिन शनिवार को भी इसी प्रकार से मंत्र जाप करे, और मंत्र जप के बाद वह उस भैरवी यंत्र को धागे में पिरोकर अपने गले में धारण कर ले। उस समय जब उर्वशी साधक के पास प्रगट हो तब साधक को चाहिए की फूलों के हार को उसके गले में पहेना दे. और हाथ में हाथ लेकर वचन ले ले, वो जीवन भर उसी प्रकार कार्य करती रहेगी। इसके बाद सभी साधक इस मंत्र का एक बार उछारण पर प्रगट होगी और साधक अप्सरा साधना में सिद्धि के अचूक उपाय जिस प्रकार से अमर सपना के विषय में साधकों के मन में विभिन्न धारणाएं बनी हुई है।
इस तरह साधक साबर उर्वशी मंत्र साधना करके उर्वशी अप्सरा की सिद्धि हासिल कर सकता हे और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हे.
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