आज इस पोस्ट में हम उगतापोर की मेलडी की साधना के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे,ये साधना से साधक हर तांत्रिक क्रिया कर सकता हे और कोई भी षट कर्म कर सकता हे,मेलडी साधना और सिद्धि से साधक भुत-प्रेत,डाकिनी-शाकिनी,जिन्न-जिन्नात और खविस को आसानी से बाँध सकता हे.
एकबार मेलडी की सिद्धि मिल जाये तो उसका उपयोग जनहित के लिए करना चाहिए जिसने जिसने इसका उपयोग गलत किया हे वो लोग आज भी हेरान हे क्योकि माता मेलडी हमेशा सत्य का साथ देती हे,मेलडी की साधना से मेलडी सिद्ध करके उसको वचन में लेकर हम जहा चाहे वह भेज सकते हे पर इसको गलत जगह पर नहीं भेजना चाहिए,
माता मेलडी के साथ पूरा ८४ का खाता चलता हे उसके साथ ५२ वीर,६४ जोगनी और कई वीर पीर चलते हे,मेलडी साधना और सिद्धि कैसे होती हे उसके बारे में हम विस्तार से चर्चा करेंगे.
मंत्र
ॐ नमो उगतापोर की मेलडी,उग्यो सूरज निकली ज्वाला,त्या बेठी उगता प्रभाते मेलडी बाला, उगता प्रभातनी मेलडी धरावे धजा धोरी, तिलक,सिंदूर नी तिलड़ी,केडे कटारी जड़ी, ज्या जोवु त्या मेलडी खडी,जड़ी मसाण नी वाटे घाटे,तारु नाम समरे आखु गाम,गादीये बेठा राजा समरे,आसन बेठा जोगी समरे,नमें नमें सकल संसार,दोड दोड माता मेलडी मारी समक्ष पाछी!!
मंत्र को सिद्ध करने की विधि
ये साधना ४१ दिन की हे रविवार या मंगलवार से साधना शुरू कर सकते हे,साधना रात ११ बजे के बाद शुरू करनी हे,एक बाजोठ लेकर उस पर माता मेलडी की प्रतिमा स्थापित करे,देशी गाय के घी का दीपक करे और गूगल का धुप करे,सुगन्धित इतर का भी छिडकाव करे फिर काली हकिक की माला से उपर्युक्त मंत्र का ५ माला जाप करे,
साधना के दरमियान ब्रह्मचर्य का पालन करना जरुरी हे और सत्य बोले,जब मंत्रजाप पुरे हो जाये तब साधना खंड में ही सो जाये और जमीन पे ही सो जाये,साधना के आखरी दिन माता मेलडी को गुड और घी से बने प्रसाद लगाये और साथ में सात प्रकार की मिठाई का भोग दे,
इस तरह साधक मेलडी साधना और सिद्धि प्राप्त कर सकता हे,जब नरक चतुर्दशी हो या ग्रहण काल हो तब उपर्युक्त मंत्र की २१ माला कर ले ताकि मंत्र जागृत रहे.
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