हमारा उद्देश्य ये हे की हर एक यक्षिणी की साधना आपके समक्ष प्रस्तुत करू ताकि आप लोगो को पता चले की यक्षिणी क्या हे और कितनी यक्षिणी हे और सब यक्षिणी को सिद्ध करने का विधान क्या होता हे, आज में आपके समक्ष अदृष्टकरण यक्षिणी साधना लेकर आया हु,इस यक्षिणी की सिद्धि से आप अदृश्य हो सकते हो आप सबको देख सकते हो पर कोई आपको नहीं देख सकता,आपको अदृश्य्करण के कई सारे मंत्र और तंत्र मिल जायेंगे पर ये साधना अपने आप में खास विशेषता रखती हे और शक्तिशाली साधना हे,
इस साधना का प्रयोग सिर्फ आप अपने उपयोग के लिए कर सकते हो सिर्फ मनोरंजन के लिए कर सकते हो,अगर किसीका अहित करने के लिए या किसिको हेरान करने के लिए प्रयोग करोगे तो आपकी साधना निष्फल हो जाएगी,
तो चलिए विस्तार से जानते हे अदृष्टकरण यक्षिणी साधना कैसे करते हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे.
अदृष्टकरण यक्षिणी साधना मंत्र
“ॐ कनकवती करवीर स्वाहा।”
साधन विधि
साधना से पूर्व अपने इष्टदेव यानि की कुलदेवता की आगया लेकर साधना का प्रारम्भ करे,साधना से पहले गणेश पूजन करे और गुरु पूजन भी करे अगर आपने गुरुदीक्षा नहीं ली हे तो आप महादेव के मंत्र की एक माला करे फिर जाके ही साधना का प्रारम्भ करे,
कृष्णपक्ष की अष्टमी से प्रारम्भ करके अमावस्या तक प्रतिदिन इस मंत्र का तीन सहस्र जप करे तथा दशांश कड़वे नीम की समिधाओं पर घृत से हवन करे तो अदृष्टीकरण यक्षिणी प्रसन्न होती है । इस हवन की भस्म का तिलक मस्तक पर लगाने से अदृश्य करण होता है अर्थात् साधक दूसरों की दृष्टि में अवश्य हो जाता है।
इस तरह साधक अदृष्टकरण यक्षिणी साधना करके सिद्धि हासिल कर सकता हे(जब आपको सिद्धि मिल जाये तब साल में एक बार कोई शुभ अवसर पर २१ माला करके मंत्र को सिद्ध करले ताकि मंत्र जागृत रहे)
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