आज हम इस पोस्ट के जरिये आपको भुत प्रेत डाकिनी शाकिनी को जाड़ना सिखायेंगे,आपके लिए बहुत ही प्राचीन और स्वयं सिद्ध शाबर मंत्र लेकर आया हु,हमारे दिए गई विधि से आप भुत प्रेत डाकिनी शाकिनी,राक्षस और चुडेल के प्रभाव को आसानी से ख़त्म कर सकते हो,
तो चलिए विस्तार से जानते हे भुत प्रेत डाकिनी शाकिनी को कैसे दूर किया जाता हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र
सत्य लोक, भूलोक, पाताल लोक, ब्रम्हलोक नमस्ते नमस्ते भूः भूवः जतिन्द्र देवा, निवाश्यामि निवाश्यामि
स्वः भवः स्वः भव:
इति सिद्धम्!!
भूत पिशाच
दिया वचन शिव ने जब
भूत पिशाच हट गये जम
किया प्रकाश पृथ्वी लोका
आई बारात सति की ओका
जय जय हो शिव का ओम
इति सिद्धम्!!
नौ देवियों के चिराग जलाकर इस मन्त्र को 108 बार करना है और मनन करने के बाद लय होने के बाद इस मन्त्र से झाड़ना है और पीपल की जड़ बांधने के लिए देनी है।
भुत प्रेत डाकिनी शाकिनी को भगाने का मंत्र
मंत्र
ॐ नमो आदेश गुरु को घोर घरे इन घेर काजी की किताब घोर मुल्ला की बांग घोर रेगर की कुंड घोर धोबी की कुंड घार पीपल का पान घोर देव की दिवाल घोर आपकी घोर बिखरता चल पर घोर बिठाता चल वज्र का किवाड़ तोड़ता चल सार का किवाड़ तोड़ता चल कुन कुन सो बंद करता चल भूत को पलीत को देव को दानव को दुष्ट को पुष्ट को चोट के पेट का मेले को घरेले का उलके को, हिड़के को भड़के को, ओपरी को पराई को, भूतनी को, पलेतनी को, डंकनी को, स्यारी को, भूचरी को, खेचरी को, कलुवे को, मलयो को, उनको मघबाय के ताप को, तिजारी को, माया को, मतवाय को, मुगरा की पीड़ा को, पेट की पीड़ा को, सांस को, कांस को, मरे को, मुसाण को, कुण-कुण सा मुसाण कचीया मुसाण भूकीया मूसाण कीटिया मुसाण चीड़ी चोपटी का मुसाण नुईसा मुण इन्हें, को बंद करी ऐड़ी की ऐडी बंद करी पीड़ा की पीड़ी बंद करी, जांघ की झाड़ी बंद करी कटिया की कड़ी बंद करी, पेटी की पीड़ा बंद करी, छाती की शूल बंद करी, शरीर
की शीत बंद करी, चोटी बंद करी, नौ नाड़ी बहत्तर कोठा रोम-रोम में घर पिण्ड में दखल कर, देश बंगाल का मनसारा मसेवड़ा आकर मेरा कारज सिद्ध न करे तो गुरु उस्ताद से लाजे शब्द सांचा पिंड काचा फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
विधि विधान
यह मंत्र इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अभी तक यह गोपनीय रहा है। भूत- ज्वर, ग्रह दोष, भूत-प्रेत-पिशाच आदि के उपद्रव को समाप्त करने तथा हर प्रकार की ऊपरी बाधा को दूर करने में यह पूर्ण रूप से सहायक है। रविवार को साधक घर में या जंगल में, एकांत में दक्षिण की ओर मुंह करके बैठ जाए। सामने लोबान की धूप और सरसों के तेल का दीपक जलाकर रखे। अपने कपड़ों पर थोड़ा इत्र लगा लें। यह साधना ग्यारह रविवार तक की जाती है तथा प्रत्येक रविवार उपर्युक्त मंत्र का एक सौ एक माला जप किया जाता है। जब ग्यारह रविवार पूर्ण हो जाएं, तो जहां बैठकर मंत्र साधना की गई है, वहां थोड़ी भांग, सुलफा या अफीम रखें और तुरंत वह स्थान छोड़ दें। मंत्रसिद्धि के पश्चात साधक को चाहिए कि वह सामने उपद्रव ग्रस्त व्यक्ति को बैठाकर हाथ में चाकू या झाडू लेकर रोगी के शरीर से स्पर्श कराए और सात बार मंत्र को पढ़कर झाड़ा लगाए। यदि हालत ज्यादा खराब हो तो कागज पर केसर के पानी या चंदन के पानी से इस मंत्र को लिखे और उसे कपड़े में सिल कर, मंत्राभिषिक्त कर रोगी के गले या बाजू से बांध दे। इससे उसे आराम हो जाएगा।
राक्षस दोष का मंत्र :राक्षस दोष दूर करने के लिए शाबर मंत्र
मंत्र
ॐ नमो आदेश गुरु को, सुरगुरु बेची एक मंडली आणि, दोय मंडली आणि, तीन मंडली आणि, चार मंडली आणि, पांच मंडली आणि, छह मंडली आणि, सात मंडली आणि, हलती आणि चलती आणि नंसती आणि माजंती आणि सिहारो आणि उहारी आणि, उग्र होकर चढंती घाल वाय, सुग्रीव वीर तेरी शक्ति, मेरी भक्ति फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
यदि इस मंत्र का उच्चारण करते हुए प्रभावित व्यक्ति को इक्कीस बार झाड़ा लगाएं तो वह शीघ्र ही राक्षस संबंधी सभी दोषों से मुक्त हो जाता है।
इस तरह आप भुत प्रेत डाकिनी शाकिनी को जाड सकते हो आप अगर गद्दी लगते हो तो आपके लिए हमारे बताये गई मंत्र और टोटका रामबाण इलाज साबित होता हे.
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