किसी भी यक्षिणी की साधना देवता की या किसी भी शक्ति की सिद्धि के बराबर आपको सिद्धि हासिल होती हे,यक्षिणी की साधना से साधक धन की प्राप्ति और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हे,साधक को यक्षिणी की साधना पत्नी,माता और बहेन के रूप में उसकी साधना करनी चाहिए,जया यक्षिणी साधना से साधक सिद्धि हासिल करके अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हे,
कोई भी यक्षिणी की साधना करने से पहले उसकी साधना और विधि विधान को समजना जरुरी हे,फिर जाके आपको यक्षिणी साधना करनी चाहिए,अगर कुछ देखे बिना साधना करोगे तो उल्टा नुकसान हो सकता हे,
तो चलिए आज इस पोस्ट में जया यक्षिणी की साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से जानेंगे.
मंत्र–
ॐ जया यक्षिणी आगच्छ आगच्छ स्वाहा।”
साधन विधि-
ये साधना ११ दिन की साधना हे ११ दिन के अन्दर साधक को १००००० जाप करना जरुरी हे,आप अपने समय के अनुसार जाप कर सकते हो पर ११ दिन में १००००० जाप करना आवश्यक हे,साधना से पूर्व गुरु पूजन करे अगर गुरु नहीं हे तो अपने माता पिता का पूजन करे उससे बड़ा गुरु इस दुनिया में नहीं हे अगर उसका आशीर्वाद साथ होगा तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता,अपने इष्ट देव का पूजन करना भी आवश्यक हे,
आक के पौधे की जड़ में बैठकर उपर्युक्त मंत्र का एकाग्रचित्त से १००००० जप करने से जया यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को सभी कार्यों में विजय प्रदान करती है।
मंत्रजाप आपको रुद्राक्ष की माला से करना हे अगर रुद्राक्ष की माला नहीं हे तो चन्दन की माला से भी मंत्रजाप कर सकते हो,साधना के दरमियान आपको कभी भी छाया के रूप में यक्षिणी दर्शन दे सकती हे तो बिना डरे मंत्रजाप शुरू रखे और इच्छित वचन आप यक्षिणी से मांग सकते हे,
इस तरह साधक जया यक्षिणी साधना करके उसकी सिद्धि हासिल कर सकता हे.
यह भी पढ़े