Bhutni sadhna साधक की हर इच्छा पूरी करती हे विविध भूतनी साधना करके साधक अपना काम कर सकता हे पर साधक को पहले भैरव की या हनुमानजी की साधना करनी चाहिए क्योकि साधक के पास कोई भी सिद्धि होगी तो वो चुटकी में भूतनी साधना कर सकता हे।
भूतनी देवी के पूर्वोक्त किसी भी स्वरूप का ध्यान करने के लिये निम्नलिखित मंत्र का जाप कीया जाता हे। जिस स्थान पर अमुक शब्द का प्रयोग हुआ है उस स्थान पर भूतनी देवी के जिस स्वरुप की उपासना करनी हे उस स्वरुप के नाम का उच्चारण करना चाहिए।
इस पोस्ट में हम विस्तार से विविध Bhutni sadhna के बारे में जानेंगे।
मंत्र
ॐ ह्रों कृम कृम कृम कटु कटु ॐ अमुक कृम कृम कृम ॐ सरः
कोई भी भूतनी साधना करने से पहले उपर्युक्त मंत्र की एक माला जरुर करे और जिस भी भूतनी की साधना करनी हो उसका उच्चारण अमुक शब्द में जरुर करे फिर ही साधना की शरुआत करे।
महाभूतनी साधना
मंत्र
ॐ ह्रों क्रू क्रू क्रू कटु कटु ॐ महाभुतनी क्रू क्रू क्रू।
साधन विधि-
रात्रि के समय चंपा के वृक्ष के निचे बैठकर उपर्युक्त मंत्र का जाप सहस्त्र संख्या में करे इस प्रकार पाच दिन तक जाप करे, अर्धरात्रि के समय जब महाभुतनी देवी प्रगट हो जाये तब चन्दन का जल अर्पित करना चाहिए, भूतनी देवी साधक को सुंदर कन्या लाकर देती हे और स्वर्ण मुद्रा प्रदान करती हे।
कुण्डलवती भूतनी साधन
मंत्र
ॐ ह्रों कृ कृ कृ कटु कटु ॐ कुण्डलवती कृ कृ कृ ॐ श्र: ।।
साधन विधि-
रात्रि के समय स्मशान में बैठकर उपर्युक्त मंत्र का आठ सहस्त्र की संख्या में जाप करे,पुजनादिक् की क्रिया पूर्वोकत प्रकार से करनी चाहिये। जब तक देवी प्रकट न हो तब तक जाप करना चाहिये।
जीस समय कुण्डलवती भूतनी साधक के समीप प्रकट हो, उस समय साधक को चाहिये की वो रक्त से अधर्य दे। इस प्रकार देवी प्रसन्न होकर माता के समान साधक की रक्षा करती है और उसे पच्चीस स्वर्ण मुदा प्रदान करती है।
सिन्दुरिणी भूतनी साधन
ॐ ह्रीं कृ कृ कृ कटू कटू कटू ॐ सिन्दुरिणी कृ कृ कृ ॐ श्र:
साधन विधि-
रात्रि के समय सूने देव-मन्दिर में बैठकर उपर्युक्त मन्त्र का आठ सहस्त्र की संख्या में जाप करे तो सिन्दुरिणी भूतनी प्रसन्न होकर साधक की पत्नी के रूप में उसकी सब इच्छा को पूरा करती है तथा बारहवें दिन प्रसन्न होकर वस्त्र , भोजनादि तथा पच्चीस स्वर्ण-मुद्रा प्रदान करती हे।
साधक विविध Bhutni sadhna करके अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हे,जब साधना सफल हो जाये तब जिस भी भूतनी की साधना की हे उस साधना को ग्रहण काल में एक बार जरुर सिद्ध करनी चाहिए ताकि मंत्र और साधना जाग्रत रहे।
यह भी पढ़े