सब साधक ये सोचते हे की क्या सच में Dakini shakini और भुत प्रेत होते हे? मेरा एक ही जवाब रहेगा इसमें की हां भुत प्रेत और डाकिनी शाकिनी हे क्योकि हमारे देश में कई ऐसी वीरान जगह और स्थल आज भी मोजूद हे जहा भुत-प्रेत और डाकिनी शाकिनी का वास हे,इस प्रेत आत्माओ का समय कुछ खास होता हे तब वो जागृत अवस्था में बहार घूमते हे,भुत प्रेत और डाकिनी शाकिनी वो बनते हे जिसकी मौत आकस्मिक हो गई हो या दुर्घटना से जिस भी व्यक्ति की मौत हो जाती हे उसकी आत्मा भुत प्रेत या डाकिनी शाकिनी के रूप में घुमती हे,
कई तांत्रिक ऐसे भी हे जो इसकी साधना करके काला जादू भी करते हे और उसको भोग में मांस और दारु अर्पित करते हे,
इस पोस्ट में हम डाकिनी-शाकिनी और भुत प्रेत को केसे रोगी के शरीर से केसे निकालते हे उसके बारे में हम विस्तार से चर्चा करेंगे.
डाकिनी शाकिनी के उतारवा का मंत्र-
ॐ नमो हनुमानजी आया कोई कोई डाकिनी शाकिनी आन कुरु कुरु स्वाहा।
विधि-
प्रथम मंत्र को सिद्ध करले फिर उलटी चाकी का पिसा सतनजा जोगी की माता का पिसा तिसका पुतला बनावे दूसरा पुतला रोगी को माता के लंहगा की लामन का बनावे उसे तिली के सवा पा तेल में भिगोकर चाकू में पिरोवे रोगी पर सात बार झाड़ के जलावे ओर ३ मंत्र पढ़के उड़द जलते पूतला पर मारता जाय सवा पा उड़द मंगा राखे फिर सतनजा के पूतला को थाली में खड़ा करे थाली में पानी भरे ताके डाकिणी जाणे पाणी के बीच में स्की हुई कड़नस के उस जलते पूतला पर तेल पड़े तो डाकिनी की देही दहै जल्दी जल्दी तेल की बंद पड़े तो डाकिनी हाजिर हो रोगी का रोग कड़ जाय परन्तु जब ऐसा काम करे तब अपना प्रबंध डाकिनी की चोट से कर ले देह रक्षा का मंत्र अपने ऊपर दम करे।
इस तरह साधक ऊपर दिये गई मंत्र से भुत प्रेत और Dakini shakini को भगा सकता हे कोई भी उपरी बाधा हो उसको आसानी से हटा सकता हे.
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