अनुरागिणी यक्षिणी साधना से और इसकी सिद्धि से साधक को जो धन की समस्या हे वो तुरंत दूर हो जाती हे,यक्षिणी के पास कुछ खास प्रकार की जादुई शक्ति होती हे जिसके माध्यम से वो साधक का हर कार्य आसानी से करती हे,
कई लोगो का मानना हे की यक्षिणी नकारात्मक शक्ति हे आज में नकारात्मक शक्ति का खुलासा इस पोस्ट में करने वाला हु,कोई भी शक्ति वेसे ही नकारात्मक नहीं होती खुद साधक उसको नकारात्मक बनाता हे अगर आप सात्विक साधना करके सिद्धि हासिल करते हो और उस शक्ति का उपयोग बुरे काम में करते हो तो वो उर्जा नकारात्मक हो जाती हे वो तो आपने सात्विक साधना से उस शक्ति को सिद्ध किया हे तो फिर क्यों नकारात्मक हो गई,क्योकि उस शक्ति को सिद्ध किया हे इसलिए साधक के आदेश का पालन वो शक्ति करती हे कोई भी शक्ति को हम अच्छे काम में इस्तेमाल करेंगे तो वो शक्ति नकारात्मक बनती ही नहीं हे,
इस पोस्ट के अन्दर हम अनुरागिणी यक्षिणी साधना के बारे में विस्तार से जानेंगे.
मन्त्र:-
“ॐ ह्रीं अनुरागिणि मैथुनप्रिये स्वाहा ।”
साधन विधि-
इस मन्त्र को भोजपत्र के ऊपर कुकुम से लिखकर, किसी भी प्रतिपदा से पूजन प्रारम्भ करे। त्रिकाल में तीन माला मंत्र का जप करे। एक महीने तक इस जप के करने के बाद रात्रि में जप करे तो अर्द्ध रात्रि के समय यक्षिणी साधक पर प्रसन्न होकर, उसे एक सहस्र स्वर्ण-मुद्रा प्रदान करती है,
हमारी भक्ति ऐसी होनी चाहिए की यक्षिणी को आना ही पड़े जितनी ज्यादा निति नियम के साथ भक्ति साधना करोगे उतना ही साधक को परिणाम जल्दी मिलेगा,आज जो नए साधक हे उसमे जरा सी भी धीरज नहीं हे उसको तो बस १ दिन में सिद्धि चाहिए थोडा सा जाप किया और सिद्धि मिल जाएगी ये सोचकर तंत्र में कूद जाते हे और सफल नहीं होते,ऐसे साधक के लिए ये साधना कोई काम की ही नहीं अगर जिसको १-२ दिन में साधना में सफलता चाहिए वो ये साधना बिलकुल ना करे,
इस तरह अनुरागिणी यक्षिणी साधना करके साधक अनुरागिणी यक्षिणी को सिद्ध कर सकता हे.
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