ये यक्षिणी की साधना थोड़ी कठिन हे और भयानक हे,जिसके पास कोई शक्ति हे या कोई सिद्धि हे उसको ही महाभया यक्षिणी साधना करनी चाहिए,इस साधना में साधक को खास सुरक्षा घेरा लगाना पड़ता हे अगर सुरक्षा घेरा नहीं लगाओगे तो आपको भयानक शक्ति डराने की कोशिश करती हे,
आप कोई भी शक्ति की साधना करो जो शक्ति होती हे उसके साथ भी और शक्ति चलती हे पहले वो शक्ति आकर साधक को डराने की कोशिश करती हे क्योकि कोई शक्ति ऐसे ही सिद्ध नहीं होती,
महाभया यक्षिणी साधना दूसरी यक्षिणी से बहुत अलग ही हे क्योकि इसमें आपको तामसिक क्रिया करनी पड़ेगी तब जाके यक्षिणी सिद्ध होगी,
तो चलिए विस्तार से जानते हे इसकी सिद्धि कैसे करते हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में इस पोस्ट में विस्तार से चर्चा करेंगे.
मन्त्र:-
“ॐ क्लीं महाभये क्लीं स्वाहा ।”
साधन विधि-
आजकल आपको यक्षिणी की बहुत सारी साधना मिल जाएगी पर आपको सही विधि विधान नहीं मिलेगा मंत्र तो कही से कॉपी करके डाल देते हे पर उसके पास विधि विधान नहीं होता ऐसे साधना करने से सफलता नहीं मिलती,
तामसिक साधना हो या सात्विक साधना हो आपको पहले संकल्प लेना जरुरी हे और अपने इष्ट देवता की आज्ञा लेकर साधना में प्रवेश करोगे तो आपको सफलता मिलने में देर नहीं लगती,अगर आपके इष्ट देवता आपके साथ चलेंगे तो आपको कोई बुरी प्रेम आत्मा या डरावनी शक्ति आपको हानि नहीं पंहुचा सकती,
साधना करने से पहले गणेश पूजन करे और इष्ट पूजन अवश्य करे,आपका कोई गुरु हे तो उसकी एक माला करे अगर गुरु नहीं हे तो आप भोलेनाथ की एक माला करके साधना का प्रारम्भ कर सकते हे,
साधक मनुष्य की हड्डियों की माला बनाकर कण्ठ में, दोनों हाथों में तथा दोनों कानों में धारण करे, तत्पश्चात् निर्भय और पवित्र होकर एक लाख मंत्र का जप करे तो ‘महाभया यक्षिणी’ प्रसन्न होकर साधक को एक रसायन देती है, जिसे खाने से सब प्रकार के रत्न हस्तगत होते हैं।
इस तरह साधक महाभया यक्षिणी साधना करके अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हे पर ध्यान या रखे की जब यक्षिणी प्रगट होकर सामने आये तो उसको अपने अनुसार वचन में बाँध ले और वो भी आपसे कुछ शर्ते रखेंगी पर आपको उसकी एक भी शर्त नहीं माननी हे.
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