जो बड़े बड़े तांत्रिक और अघोरी होते हे वो जो बोलते हे ऐसा ही होता हे क्योकि उसके पास वाचा सिद्धि होती हे उसने वाचासिद्धि यक्षिणी की साधना की होती हे इसलिए वो जो बोलते हे ऐसा ही होता हे, में आपके लिए इस पोस्ट में ऐसी ही वाचासिद्धि यक्षिणी साधना लेकर आया हु आप इसे सिद्ध करके वाचा सिद्धि प्राप्त कर सकते हो,
यक्षिणी तो बहुत प्रकार की होती हे और उसको सिद्ध करने की विधि भी अलग अलग होती हे और सब यक्षिणी के कार्य भी अलग अलग होते हे,पर जो कुछ नियमो का पालन करना पड़ता हे वो सब यक्षिणी साधना में करना पड़ता हे,
सही विधि विधान के साथ साधना करोगे तो आपको १००% सफलता मिलती हे,यक्षिणी साधना में आपको बहुत सावधानी पूर्वक साधना करनी होगी अगर इसकी साधना विधि विधान के साथ करोगे तो यक्षिणी तुरंत सिद्ध हो जाती हे,हमने कई बार देखा हे यक्षिणी दूसरी शक्ति से ज्यादा कम समय में सिद्ध हो जाती हे,
इस पोस्ट में हम विस्तार से जानेंगे की वाचासिद्धि यक्षिणी साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे तो चलिए जानते हे,
मंत्र–
“ॐ ह्रीं श्रीं भारत्यै नमः।”
साधन विधि-
यक्षिणी साधना के कुछ नियमो में से आपको दारू का,मांस का और पराई स्त्री से दूर रहना पड़ेगा,में जो भी यक्षिणी की साधना आपके समक्ष लाता हु इसमें ये नियम तो होंगे ही क्योकि ये नियम का पालन नहीं करोगे तो आपको यक्षिणी कभी भी सिद्ध नहीं होगी,
अपामार्ग पौधे पर बैठकर उक्त मंत्र का एकाग्र- चित्त से १००००० जप करने से वाचासिद्धि यक्षिणी प्रसन्न होकर, साधक को वाचा सिद्ध करती है, अर्थात् साधक जो कहता है वही होता है।
जहा एकांत जगह पर अपामार्ग का पौधा हे उस जगह पर ही साधना करे क्योकि यक्षिणी की साधना एकांत जगह पर ही होती हे,कोई भी साधना का अनुभव करना हो तो आपको बस्ती से दूर एकांत जगह पर साधना करनी चाहिए आपको जरुर सफलता मिलेगी और अनुभव भी होंगे.
इस तरह साधक वाचासिद्धि यक्षिणी साधना करके अपनी मनोकामना पुर कर सकता हे और यक्षिणी की सिद्धि हासिल कर सकता हे.
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