शोभना यक्षिणी की सिद्धि से साधक की हर एक मनोकामना परिपूर्ण होती हे,यक्षिणी के कई सारे प्रकार हे और उसको सिद्ध करने की विधि भी अलग हे,जितनी सारी यक्षिणी हे उसमे समय की मर्यादा होती हे क्योकि एक दिन में साधना को सम्पन करना पड़ता हे पर शोभना यक्षिणी साधना में आप साधना ११ दिन के अन्दर पूर्ण कर सकते हो,
दूसरी यक्षिणी की तरह ही आपको निति नियम और विधि विधान का ध्यान रखना पड़ता हे, शोभना यक्षिणी की सिद्धि आपको माता या बहेन के रूप में करना हे,
साधना के दरमियान तन और मन से ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ेगा,दारू और मांस से दूर रहे,जो साधक तांत्रिक क्रिया करता हे उसके लिए ये साधना मुश्किल नहीं हे पर जो साधक तंत्र में अभी अभी नए हे उसको ये साधना करना कठिन हो जाता हे,
तो चलिए विस्तार से जानते हे शोभना यक्षिणी साधना कैसे करते हे और उसका विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे.
मन्त्रः-
“ॐ अशोक पल्लवाकारकरतले शोभने श्री क्षः स्वाहा”
साधन विधि-
ये साधना आपको ११ दिन के अन्दर सम्पन कर लेनी हे,आप अपने हिसाब से मंत्रजाप कर सकते हो, आपका कोइ गुरु हे तो उसका मार्गदर्शन ले अगर गुरु नहीं हे तो आप हमारी दी गई विधि से भी साधना कर सकते हो पर आपको श्रद्धा और विस्वास के साथ साधना करनी पड़ेगी,गणेश पूजन कर ले और अपने इष्ट देव अनुमति लेकर साधना का प्रारम्भ करे,
चतुर्दशी के दिन साधना शुरू करे, लाल माला एवं लाल वस्त्र धारण करके इस मन्त्र का सवा लाख जप करे तो ‘शोभना यक्षिणी’ प्रसन्न होकर साधक को अनेक प्रकार के भोग प्रदान करती है।
साधना के बिच में आपकी साधना खंडित करने के लिए बाहरी शक्ति और खुद यक्षिणी भी आपको डराने की कोशिश करती हे पर आपको डरे बिना साधना शुरू ही रखनी हे वरना साधना खंडित हो जाएगी,आप इस तरह से शोभना यक्षिणी साधना करके अपनी मनोकामना परिपूर्ण कर सकते हो.
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