सुरसुन्दरी यक्षिणी साधना के दरमियान साधक को कई प्रकार के अनुभव दिखने को मिलेगा क्योकि ये साधना बहुत ही तीव्र और शक्तिशाली साधना हे,जब आप साधना करते हो तो साधना के दरमियान सुन्दर स्त्री के रूप में आकर सुरसुन्दरी साधक का मन विचलित करने की कोशिश करती हे,

कोई भी यक्षिणी हो या योगिनी हो वो कभी पूर्ण रूप से नहीं सामने आती वो सिर्फ छाया के रूप में दर्शन कराती हे या अपना रूप बदलके आती हे,साधना के बिच में ब्रह्मचर्य का भी पालन करना जरुरी हे,

कई साधक हमें बताते हे गुरूजी एक दिन की साधना दो और वो भी बिना ब्रह्मचर्य का पालन करे सिद्ध हो जाये और मंत्र जाप सिर्फ २-३ बार ही बोलना पड़े और हमको सिद्धि मिल जाये,

ऐसी साधना हमारे पास नहीं हे क्योकि हम कभी जूठी साधना और मार्गदर्शन नहीं देते जो विधि विधान हे वो ही बताते हे,

तो चलिए इस पोस्ट में हम सुरसुन्दरी यक्षिणी साधना के बारे में विस्तार से जानेंगे की इसकी साधना और सिद्धि कैसे होती हे,

सुरसुन्दरी यक्षिणी साधना

मन्त्र :-

“ॐ ह्रीं आगच्छ आगच्छ सुन्दरी स्वाहा।”

साधन विधि

दिन में तीन बार एकलिंग महादेव का पूजन करे  तथा उपर्युक्त मंत्र  को  तीनों काल में पाच-पाच हजार  जपे। एक मास तक इस प्रकार साधन करने से  ‘सुरसुन्दरी यक्षिणी’ प्रसन्न होकर  साधक के  समीप  आती है । जब यक्षिणी प्रकट हो,  उस समय साधक  को चाहिये कि वह उसे अध्यं देकर  प्रणाम  करे। जब  यक्षिणी यह प्रश्न  करे-“तूने  मुझे क्यों बुलाया ?” उस  समय साधक यह कहे- हे कल्याणी ! मैं  दरिद्रता  से  दग्ध हूँ। आप मेरे दोष को दूर करें।” यह  सुनकर यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को दीर्घायु एवं  धन प्रदान करती है।

कोई भी यक्षिणी की साधना करने बैठो तो पहले संकल्प ले की यक्षिणी की साधना आप माता,बहेन या प्रेमिका के रूप में कर सकते हो तो आपको उस रूप में ही देखना होगा यक्षिणी को,

इस तरह सुरसुन्दरी  यक्षिणी साधना को सफल तरीके से सिद्ध करके साधक दुःख,दरिद्रता और गरीबी को दूर कर सकता हे और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता हे.

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