कोई भी साधना करनी हो तो आपको गुरु मंत्र का जाप करना जरुरी हे बिना गुरु के भी साधना सिद्ध होती हे पर बहुत निति नियम और विस्वास रखना पड़ता हे,अगर आप कोइ भी साधना कर रहे हो तो आपको पहले मेने जो गुरु मंत्र दिए हे उसका जाप कर लेना चाहिए फिर साधना का प्रारम्भ करना चाहिए,

इस पोस्ट में मेने बहुत ही शक्तिशाली गुरु मंत्र डाले हे आप इसमें से कोई भी एक गुरु मंत्र का जाप कर सकते हो,

गुरु मंत्र

मंत्र

गुरु गोरक्षनाथ महाराज, गुरु मच्छेन्द्रनाथ

ॐ गुरु मच्छेन्द्र नाथ कार्याम

गुरु गोरक्षनाथ शिष्यम्

पूराणाविक धारा नगरी जहाँ रहती गंगा जलम्

पूर्वजा उध्धारणम करियेणेम्

धारा गंगा जलम् युगे युगे।

उत्तर मे मनसा देवी

दक्षिण में चण्डी देवी माँ वासदियिनी

गुरु गोरक्ष जानी सारेम जगतम्

नाथो ने मानी

शिव के अवतारा ब्रह्म योग ज्ञान उतारा

जिसने योगी गोपी चन्द्र भ्रतहरी उतारा

जिसके बल से धरती कापी

जगत उजियारा

जिसके बल से घर घर ज्ञान पसांरा

सारे जगत की फेरी लगाई।

उतरी धरती पर गंगा माई।

शिव के अवतारा खोली गांढ अधर्म की

धर्म घर घर पसांरा ।

आओ आओ देव मेरी रक्षा करो

मेरी आत्मा में बसकर संसार का उध्धार करा

देव जय गुरु गोरक्षनाथ देव

इति सिद्धम्

गुरु मन्त्र

मंत्र

गुरु माकिंतिम विभागमन प्रस्तुतिवियम् नियमानुसरणम्

गुरु आदेश आदेश आदेश अलखा हाजण संसारम्

अलख निरंजन आदेश आदेश आदेश।

इति सिद्धम्

गुरु मन्त्र शिष्य को देने के लिए

मंत्र

ॐ सतगुरु आदेशं ब्रह्मचारिणी देवानापि

गुरु गुर्ण सन्देशां वायु श्रेणि

ॐ प्रकाश भवः जगत व्यात्यारिणी

मनु प्रकासियम धुविकर्ण जगत

प्राणी विषय अद्भुतय प्रकासियम

मनु कारिणी जम धरातलम्

ॐ मधु किर्णी यथा शक्तिम भागीवितम विधा

अनुपम मायंभितंरिजम शाशक्तय भूर्णीवियेम

उजागरम् प्रवाह वाषिणी वियम् अद्भुतय संसारम

प्राशक्ति वियम सुन्दरम प्रायिणी जय यथा शक्तमः

माधुरिप पणम भाग्यावतिजम साशक्तम उत्तीर्णम प्राचीर्णय जगत

ॐ वाक्यारिणम मधुवेलो ओषधिकर्मडंलम पिरोणी जगतम धरा वासुदेवय प्राचिर्णीजम साशक्तम आधिशक्ति उपम्

ॐ तपोंभूमि यणो नमः। ॐ चौंसठ योगिनी नमो नमायः।

ॐ पुष्पारबिन्दुम् यणौ नमः। ॐ भैरुदेवाय नमः।

ॐ ध्वनिं प्रवाहं विप्राशक्ति नमः। ॐ शिव पार्वती चरणाम नमः।

ॐ गौर्ण धर्मणाय यथावस्तु नमः।

ॐ गोपीका शान्तनु भगम वासधुदेवम् नमः।

ॐ नमो शंकरम चारिणी नमः।

महापाक्यंजम वास्तु वियम् ब्रह्माण्डम धारिवितम्

सैहस्तर्म पुराणुवियम युग भांतिविषयं मनु कान्तिजम्

चतुर्थ युगम जन्मम् प्राशिणजम प्रास्तु विषय युगम भण्डारम प्रस्तुत महायोगी जन वाणी गुणगानम प्राजिवर्णी जम धरातल प्रवाह विश्लेषणम युगम भांतिविषय सैहस्तम् पुराण विषय गौर्णजम प्राशक्तिजम जार्णप्राजम विष्युर्णम धरा प्रज्वलितम शेष वणम गुर्णाकान्तिजम धर्मणेय साशक्तम

उपनिर्विजम भया व्यक्तिजम पुरुशक्तम निन्यानवे विषणु जन्मः

प्राशतिंजम युग सनकम प्राशितिजम जामुणम विस्थारजमं न्यूणनम।

ये गुरु मंत्र बहुत ही शक्तिशाली मंत्र हे आप कोई भी एक मंत्र का उपयोग साधना के दरमियान कर सकते हो.

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