त्रिगुण शिवजी की आरती

भगवान् शिव को प्रसन्न करने के लिए या उसकी साधना करने के लिए आपको साधना से पूर्व त्रिगुण शिवजी की आरती करनी पड़ती हे,इस आरती करके आप शिव को प्रसन्न कर सकते हो और अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते हो,कोई भी साधक शिव की उपासना कर रहा हे उस साधक को भी त्रिगुण शिवजी की आरती करने से लाभ होता हे,

शिव एक ऐसी शक्ति हे जिसके आगे हर शक्ति नत्मस्तक रहेती हे उसके आगे कोई भी शक्ति टिक नहीं पाती,जो लोग अघोरी हे वो लोग भी स्मशान में जाकर शिव की आराधना और साधना करते हे,एक बार आपने शिव को प्रसन्न कर लिया या उसकी साधना सिद्ध कर ली तो फिर आपको कोई और दूसरी साधना करने की जरुरत नहीं हे,शिव आपको मुक्ति की और ले जाता हे और अकाल मृत्यु से बचाता हे,

त्रिगुण शिवजी की आरती

आरती

जय शिव ओंकारा, हर जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अगी धारा॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे।

हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥

जय शिव ॐ कारा..

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज ते सोहे।

तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे।

जय शिव ॐ कारा…

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।

चंदन मृगमद सोहे भोले शुभकारी॥

अजय शिव ॐ कारा….

श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे।

सनकादिक ब्रहादिक भूतादिक संगे।

अजय शिव ॐ कारा…

कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूल धर्ता।

जगकर्ता जगभर्ता जग पालनकर्ता।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥

जय शिव ॐ कारा….

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी,

नित बठि भोग लगायत महिमा अति भारी॥

त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे॥

जय शिव ॐ कारा….

इस शिवजी की त्रिगुण आरती को आप सुबह 7 बार और शाम को  7 बार कर सकते हो,इस आरती को कम से कम सवा तीन महिना करने से आपको इसका परिणाम मिलना शुरू हो जायेगा.

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