नटिनी योगिनी साधना

आज में साधक मित्रो को नटिनी योगिनी साधना देने वाला हु जिसको सिद्ध करके आप नटिनी योगिनी की सिद्धि हासिल कर सकते हो,

तो चलिए विस्तार से जानते हे नटिनी योगिनी साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,

साधक  को  चाहिए  कि  वह  अशोक वृक्ष के नीचे जाकर  पूर्वोक्त विधि से स्नानादि कर मूल मन्त्र से नटीनि योगिनी का पूजन करे।

नटिनी योगिनी साधना

मूल मंत्र यह है-

ॐ ही नटिनी स्वाहा।

पुजन  के  समय  देवी के निम्नलिखित सवरूप का ध्यान करना चाहिए-

नटिनी योगिनी का रूप लावण्य और तीनों भुवनों को मोहित कर रही  है। ये  गौरवर्णि   विचित्र,  विविध अलंकारो  से सुसज्जित, एवं नतर्की  रूप धारिणी है।

निम्नलिखित  श्लोक में नटीनि योगिनी के ध्यान के स्वरुप का वर्णन किया गया हे

त्र्लोक्यमोहिनी  गौरी  विचित्राम्बरधरिणीम।

विचिशतालुक्रांत रम्या  नतंकीवेषधारिनिम ।

उक्त  विधि से ध्यान करके प्रतिदिन एक सहस्त्र की संख्या  में  मूल मंत्र का जप करे तथा पंचोपासर से देवी  की  पूजा  कर,  धुप निवेदीत  कर,  गंध, पुष्प, ताम्बुल  आदि प्रदान करे। इस प्रकार एक मास तक पूजन और मंत्र का जप करना है। महीने के अन्तिम दिन  महा पूजा  करे। उस दिन अर्ध रात्रि के समय नटिनी योगिनी आकर साधक को भय दिखाती है, पर साधक  को  चाहिए  कि वह भयभीत और डरे बिना मन्त्र का जप करता रहै। उस समय देसी साधक की दृढ प्रतिग्ना जानकर  उसके घर गमन करती है और सम्पूर्ण विद्यायों को ज्ञात देवि मुस्कराती हई साधक से कहती हे की  तुम अपना अभिलाशीत वर मांगो । देवी  का  वचन सुनकर, साधक अपने मन को स्थिर करके उन्हें अपनी माता, बहन प्रथमा पत्नी के सबंध में सम्बोधित करे तदनुसार आचरण करे तथा अपनी भक्ति द्वारा  देवी को सन्तुष्ट करे। उस समय देवी सन्तुष्ट होकर साधक  के मनोरथ को पूर्ण करती है।

यदि साधक देवी का मातृभाव में भजन करता है तो उसका  पुत्र के समान पालन करती है और प्रतिदिन सौ  स्वर्णमुद्रा तथा अभि-लाषित पदार्थ प्रदान करती है।

यदि साधक  देवी  का बहन भाव में भजन करता है तो उसके  लिए प्रतिदिन माग-कन्या एवं राक-कन्या लाकर देती है और उसे भूत, भविष्यत, वर्तमान तीनों काल की घटनाओं का ज्ञान कराती रहती हे।

यदि  साधक देवि का पत्नी भाव में भजन करता है तो  वे उसे प्रतिदिन विपुल धन प्रदान करती है तथा अन्नादि  नाना  प्रकार  के उपचारों द्वारा सौ स्वर्ण मुद्रा प्रदान करती हे।

इस तरह साधक नटिनी योगिनी साधना करके उसकी सिद्धि हासिल कर सकता हे और तांत्रिक बन सकता हे.

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