महामृत्युंजय मंत्र आपने बहुत बार पढ़ा होगा और जाप भी किया होगा पर आज में आपके समक्ष दुर्लभ और प्राचीन महामृत्युंजय मंत्र सिद्धि की विधि लेकर आया हु इस मंत्र की सिद्धि नवनाथ ने की हे,
महामृत्युंजय मंत्र सिद्धि करके आप अकाल मृत्यु से बच सकते हो और काल भी आपका कुछ नहीं कर सकता,
नवनाथ ने भी इस मंत्र की सिद्धि करके मृत्यु को अपने वश में कर लिया था,तो चलिए विस्तार से जानते हे महामृत्युंजय मंत्र सिद्धि कैसे की जाती हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र
ॐ महारान्द्री जीवन मृत्युन्जय
काया निमीत्री भीतरी गामी
सत्य लोक परमेश्वरम्
प्राजाय नमः जायनिस्त्रीयोगाम्
जन्म मृत्यु जीवनी प्रनामियान्
आपान माया सृष्टि यायाम्
भुजगेन्द्र दालि लामाः
र्भूः मूर्व स्वः जननी दाता
परमेश्वरम जन्म दादिना प्रास्वः
जतिन्द्र प्रास्वः यतीन्द्र प्रास्वः
मान प्रियाणी सभ्यम जाग्रति
फूलकायामि जडस्वी नमः
ब्रह्म विष्णु शिवम् प्रास्वि
घनिन्द्री पालनहारी स्वः नमः
प्रायाज्ञया बाहुमुजागिनि स्व नमः
यक्षिणी प्रलादिनि स्वः नमः
दान्दुरी भक्षिणी स्वः नमः
जन्म मृत्यु पालन हार स्वः नमः
शम्भू आदिनाथ प्रास्वः नमः
जानप्रियान्ति प्रा स्वः नमः
भारतेन्दु रवियामाः नमः
भानू प्रियान्तिम नमः
नमः देवः यशस्वी देव नमः
इति सिद्धम्!!
मंत्र को सिद्ध करने का विधि विधान
इस मंत्र को सिद्ध करने का कोई विधान नहीं हे पर रुद्राक्ष की माला से उपर्युक्त मंत्र की एक माला नित्य ४५ दिन तक करने से मंत्र सिद्ध हो जाता हे,
जीवात्मा जाग उठना
नर-नारि, बच्चा मरने की हालत में हो तो इस मन्त्र को 1700- बार करना है जीवात्मा जाग उठेगी
मंत्र
ॐ नरमणी नरमणी भवतिः
सुधा सागर नमस्ते नमस्ते
भास्यन्ति भास्यन्ति यूगे यूगेः
ब्रम्ह विषणु महेश अष्टदेव
यशस्वी यशस्वी काल निरूसितम्
भुगेन्द्र भुमेन्द्र आगाच्छन्ति
भुमि भुमेण काल निरूसति ।
सैहत्र सैहस्त्र भाकायायाम्
निरूसते निरूसते
भ्रमणे भ्रमणे आनन्दीतम्
सर्वदा सर्वदा पाष्यन्ति
जममसुनिंतर चराचर जगत
फिरयामि फिरयामि
सैहत्रबाहुं यमादि यमादि,
तैरासति तैरासति सफलम् भाग्य जाग्रति
फलामि फलामि
सिद्धयोंगिनि फिरूसितम् फिरूसितम्
जाग्ररति जाग्ररति नमामि नमाति
जय निरमामी निरमामी
भवः सागर पारम भुजगेन्द्र हारम्
इति सिद्धम्!!
इस तरह साधक महामृत्युंजय मंत्र सिद्धि करके अकाल मृत्यु को अपने वश में कर सकता हे और काल भी उसका कुछ बिगड़ नहीं सकता.
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