मृगाक्षी अप्सरा साधना

मृगाक्षी अप्सरा की साधना मुख्यतः सौन्दर्य प्राप्ति हेतु और वशीकरण कार्य हेतु की जाती हे जो तांत्रिक लोग वशीकरण कार्य करते हे वो लोग अप्सरा के जरिये ही तांत्रिक क्रिया करके वशीकरण को अंजाम देते हे,अगर आप भी सौन्दर्य प्राप्ति करना चाहते हो या वशीकरण करना चाहते हो तो आपके लीए ये साधना रामबाण इलाज हे,

तो चलिए विस्तार से जानते हे मृगाक्षी अप्सरा की साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसके बारे में चर्चा करते हे,

मृगाक्षी अप्सरा साधना एक परंपरागत तांत्रिक प्रयोग है जिसे अच्छे इंगीश में “Sadhana of the Mrigakshi Apsara” कहा जाता है। इस साधना का उद्देश्य आपकी इच्छा को पूरा करने में मदद करने वाली अप्सरा मृगाक्षी की कृपा प्राप्त करना है। यह साधना विशेष रूप से वशीकरण और सौन्दर्य वर्धन के उद्देश्यों के लिए की जाती है।

मृगाक्षी अप्सरा साधना का अनुष्ठान शाबर तंत्र के माध्यम से किया जा सकता है, लेकिन यह एक विशेष विधि की आवश्यकता होती है जो गुरु के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए। यह एक अत्यंत श्रेष्ठ और उच्च कुशलता वाले तंत्रिक गुरु द्वारा उपदेश दिया जाना चाहिए।

मृगाक्षी अप्सरा साधना का संक्षेप में निम्नलिखित रूप से अनुष्ठान किया जा सकता है:

मृगाक्षी अप्सरा साधना

ध्यान और मन्त्र जाप:

पहले, आपको अपने गुरु के मार्गदर्शन में ध्यान और मन्त्र जाप का अभ्यास करना होगा। आपको मृगाक्षी अप्सरा के रूप, गुण, और योग्यताओं का ध्यान करना होगा।

यज्ञ और हवन:

इसके बाद, आपको विशेष यज्ञ और हवन का आयोजन करना होगा जिसमें विशेष मन्त्रों का पाठ किया जाएगा।

साधना का अनुष्ठान:

आपको एक निर्धारित समय और स्थान पर विशेष रूप से साधना करना होगा। इस साधना में आपको अपनी इच्छाओं को मन में धारण करना होगा और मृगाक्षी अप्सरा को आपकी सेवा में आने के लिए पुकारना होगा।

साधना के बाद:

सफल साधना के बाद, आपको अपने गुरु के मार्गदर्शन में अपने उद्देश्यों के अनुसार व्यवहार करना होगा।

यह एक अत्यंत परंपरागत और श्रेष्ठ साधना है और इसे अच्छे इंग्लिश में करने के लिए सावधानी और समय देने की आवश्यकता होती है। आपको ध्यान और धारणा की आवश्यकता होती है और आपको इसे गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए।

मंत्र

ॐ श्रृं मैं मृगाक्षी अप्सरायै सिद्धं वश्यं श्रृं फट्।।

विधि

उपर्युक्त मंत्र की आपको २१ माला करनी हे और  जब  २१  माला  मंत्र जप हो जाए, तब वह स्फटिक माला  भी  अपने  गले  में धारण कर लें, ठीक इसी अवधि  में  जब मृगाक्षी  अप्सरा कमरे में उपस्थित हो. (साधना करते  समय कमरे में साधक के अलावा और  कोई  प्राणी  न हो) तब सामने रखी हुई दूसरी गुलाब  के  पुष्प की माला उसके  गले में पहना दे। और  वचन लें कि वह जीवन अमुक पिता के, अमुक पुत्र  (साधक) के वश में रहेगी, और जब भी वह इस मंत्र  का  ग्यारह  बार  उच्चारण  करेगा  तब  वह उपस्थित  होगी,  तथा  जो  भी  आज्ञा देगा उसका तत्क्षण पालन करेगी।

इस तरह साधक मृगाक्षी अप्सरा की साधना करके साधक उसकी सिद्धि प्राप्त कर सकता हे और मनचाहा कार्य करा सकता हे.

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