आज में इस पोस्ट के जरिये साधक मित्रो को राज्यप्रदा यक्षिणी साधना देने वाला हु,प्राचीन समय में राजा और महाराजा राज्यप्रदा यक्षिणी साधना करके आकस्मिक राज्य प्रदान करते थे,

यक्षिणियाँ भी मनुष्येतर जाति की प्राणी हैं। ये यक्ष जाति  के पुरुषों की पत्नियाँ हैं और इनमें  विविध  प्रकार  की शक्तियाँ सन्निहित मानी जाती हैं। विभिन्न  नामबारिणी  यक्षिणियाँ विभिन्न शक्तियों से सम्पन्न हैं- ऐसी तान्त्रिकों  को मान्यता है। अतः  विभिन्न  कार्यों  की सिद्धि  एवं  विभिन्न अभिलाषानों को पूति के लिए  तंत्र   शास्त्रियों  द्वारा विभिन्न  यक्षिणियों  के  साधन  की  क्रियाओं  का प्राविष्कार किया गया है । यक्ष जाति  यूँकि चिरंजीवी होती है, अतः पक्षिणियाँ भी प्रारम्भिक  काल  से अब तक विद्यमान हैं और वे जिस साधक पर प्रसन्न हो जाती हैं , उसे  अभिलषित  वर  अथवा वस्तु प्रदान करती हैं।

अब से  कुछ सौ वर्ष  भारतवर्ष  में यक्ष-पूजा  का  अत्यधिक प्रचलन था। अब भी उत्तर भारत के कुछ भागों  में ‘जखैया’  के  नाम से यक्ष- पूजा  प्रचलित है। पुरातत्त्व  विभाग द्वारा  प्राचीन काल में निर्मित यक्षों की  अनेक प्रस्तर  मूर्तियों की खोज की जा चुकी है। देश  के  विभिन्न   पुरातत्त्व संग्रहालयों  में  यक्ष  तथा यक्षिणियों  की  विभिन्न प्राचीन  मूर्तियाँ  भी   देखने  को  मिल  सकती हैं।

कुछ लोग  यक्ष  तथा  यक्षिणियों  को  देवता तथा देवियों की ही एक उपजाति के रूप में मानते हैं  और उसी प्रकार उनका पूजन तथा आराधनादि भी करते हैं ।इनकी संख्या सहस्रों में हैं।

जिस  किसी  यक्षिणी  का  साधन करना हो, उसका माता, भगिनी (बहन), पुत्री अथवा मित्र, इनमें से किसी भी   स्वरूप   का    ध्यान   करे।   मांस-रहित  भोजन  करे,  पान  खाना  छोड़   दे,  किसी  का  स्पर्श   न  करे    यक्षिणी  भैरव   सिद्धि   का,   तथा  निश्चिन्त होकर,   एकान्त  स्थान   में  मन्त्र   का   तब   तक जप   करे,  जब   तक  सिद्धि  प्राप्त    न    हो।   जिन  यक्षिणियों  के   साधन   के   लिए  जिस   स्थान    पर  बैठकर   मंत्र   जाप की विधि का  वर्णन  किया गया  है उनका साधन उसी प्रकार से करना चाहिए।

राज्यप्रदा यक्षिणी साधना

मंत्र

“ॐ ऐं ह्रीं नमः।”

साधन विधि-

तुलसी के पौधे की जड़ के समीप  बैठकर   उक्त यंत्र का  एकाग्रचित्त  से  १००००  वार  जप  करने  से राज्यप्रदा यक्षिणी प्रसन्न होकर साधक को अकस्मात् ही राज्य की प्राप्ति कराती है ।

इस तरह साधक राज्यप्रदा यक्षिणी साधना करके राज्य की प्राप्ति कर सकता हे और ध्यान ये रहे की इस सिद्धि का अगर गलत इस्तेमाल करोगे तो आपकी सिद्धि नष्ट हो जाएगी.

भैरव की अघोर शक्ति से और सिद्ध मंत्र से किया गया अभिमंत्रित कड़ा यानि कि भैरव कड़ा जो हर तरह की बीमारियों के सामने रक्षण देता हे मसान की खतरनाक शक्तियों के सामने और बुरी आत्मा के सामने रक्षण करता हे जिसको चाहिए वो हमारा कॉन्टैक्ट करके मंगवा सकता हे

कांटेक्ट करने के लिए ईमेल

gramintantra@gmail.com

Whatsapp पर मेसेज भी कर सकते हे

7622064912

कोई भी साधक अगर सिद्धि प्रदान करना चाहता हे तो उसको सिद्ध माला की आवश्यकता रहती हे बिना सिद्ध की हुई माला से जितना भी मंत्र जाप कर लो सिद्धि प्राप्त नहीं होती हमारे पास सभी प्रकार की सिद्ध की हुई माला उपलब्ध हे जिसको चाहिए वो हमारा कॉन्टैक्ट कर सकता हे

कांटेक्ट करने के लिए ईमेल

gramintantra@gmail.com

गुरुमुखी मंत्र और खतरनाक शक्तियों के मंत्र से और उसकी शक्ति से हम श्मशान की राख को अभिमंत्रित करते हे और उसको खास प्रकार की वशीकरण राख बनाते हे उस राख को इच्छित व्यक्ति पर फेकने से या किसी भी बहाने उसको खिला देने से वो आपके प्यार में गिरफ्तार हो जाएगी

कांटेक्ट करने के लिए ईमेल

gramintantra@gmail.com

किसी भी साधक को अगर सिद्ध किया हुआ यंत्र चाहिए तो वो हमारा कॉन्टैक्ट कर सकता हे और मंगवा सकता हे

कांटेक्ट करने के लिए ईमेल

gramintantra@gmail.com

कोई साधक अगर किसी भी शक्ति की साधना करना चाहता हे या वशीकरण साधना या मोहिनी साधना करना चाहता है तो हम साधक को गुरुमुखी साधना देंगे और जब तक सिद्धि न मिले तब तक हम उसको मार्गदर्शन करेंगे सिद्धि प्रदान कराएंगे (महाकाली साधना नरसिंह साधना भैरव साधना कोई भी दस महाविधा की साधना यक्षणी साधना जिन्न साधना भूतनी साधना डाकिनी शाकीनी साधना वशीकरण साधना मोहिनी साधना और हमारे पास कई सारी गुप्त साधना हे जिसका जिक्र यहां नहीं कर सकते

कांटेक्ट करने के लिए ईमेल

gramintantra@gmail.com

यह भी पढ़े

दिवालन साधना

डेढ फुटिया की साधना

यक्षिणी साधना

मेलडी साधना

महाकाली साधना

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here