आज में आपके समक्ष बहुत ही प्राचीन और दुर्लभ अग्नि देव का मंत्र लेकर आया हु,अग्नि देव की पूजा हर कार्य करने से पहले की जाती हे कोई भी षट कर्म करने से पहले अग्नि देव की पूजा की जाती हे,यग्न करने से पहले भी अग्नि देव की पूजा की जाती हे,प्राचीन काल में भी अग्नि देव की पूजा विधिवत की जाती थी,
विवाह,यग्न या हवन हो इसमें पहले अग्नि देव को प्रसन्न किया जाता हे फिर कार्य की शरुआत की जाती हे,कोई भी चीज़ हो बुरी हो उसको अग्नि में होम किया जाता हे,हवन या यग्न से जो अग्नि से निकलता हुआ धुआ नकारात्मक शक्ति को दूर करता हे और वातावरण शुद्ध करता हे,
तो चलिए विस्तार से जानते हे अग्नि देव का मंत्र कैसे सिद्ध किया जाता हे और उसकी विधि क्या हे उसके बारे में विस्तार से चर्चा करते हे,
मंत्र
विर करियामि करियामि अग्नि पाष्यन्ति
यशुमति यशुमति जल अग्नि पारस्वामि अग्नि,
पारयामि पारयामि, जलसति अग्नि मात्रे
निर्माणी अग्नि प्रविष्ठानि,
सूर्य अग्नि चन्द्र अग्नि जासवन्ति
फिरयामी फिरयामी जलसति मिरयामी
भास्करन देवाय नमः
अग्नि जलसति नमः
फिरूस्यामि फिरूस्यामि नमः
काल भेदिनि नमः अग्नि मात्रे नमः
देव यणुयम् नमः देव,
भिशाम्बर देव नमः नमः
इति सिद्धम्!!
मंत्र को सिद्ध करने का विधान
इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए कोई भी शुभ अवसर पर होली,ग्रहण या दीपावली के दिन लगातार ३ घंटे तक जाप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता हे,रुद्राक्ष की माला या हकिक माला से मंत्रजाप करे और सामने अग्नि प्रगट करके गूगल की आहुति दें, ये मंत्र बहुत ही प्राचीन हे और स्वयं सिद्ध हे इसको सिर्फ जागृत करना आवश्यक हे,
इस मंत्र की सिद्धि से घर से नकारात्मक उर्जा भाग जाएगी और मनोकामना पूर्ण होगी,इस मंत्र की सिद्धि से आपका मनोबल और आत्मविश्वास बढेगा,
इस तरह आप अग्नि देव का मंत्र सिद्ध कर सकते हो और उसके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हो.
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