इंद्रजाल की विधा एक जादू जैसे ही हे इंद्रजाल का समावेश हम काले जादु में भी कर सकते हे,मायावी विद्या को हम इंद्रजाल विद्या भी केह सकते हे इंद्रजाल का मंत्र सिद्ध करके हम मारण, मोहन, स्तम्भन और वशीकरण जैसे कार्य कर सकते हे,
इंद्रजाल की विद्या आदि अनादी काल से भारत में प्रचलित हे पहले जादूगर इस विद्या में पारंगत हुआ करते थे,जादूगर इंद्रजाल का ही प्रयोग करके कीमिया करते थे,बंगाल के लोग और कामरूप के लोग इस विद्या में ज्यादा पारंगत हुआ करते थे,
इंद्र के नाम पर से ही इस विद्या का नाम इंद्रजाल पड़ा हे,इंद्रजाल को सिखने के लिए दूर दूर से लोग भारत में आते थे,रावण के पास भी इंद्रजाल की विद्या थी,जादूगर और कीमिया करने वाले लोग इन्द्रजाल का प्रयोग करके कई तरह के प्रयोग करते हे आज भी मयोंग और कई ऐसे जादू के गढ़ हे जहा ये विद्या मोजूद हे और साधक को सिखाई भी जाती हे,
इस पोस्ट में मेने २ इंद्रजाल के शाबर मंत्र डाले हे और उसको सिद्ध करने की संपूर्ण सिद्धि बताई हे साधक इस मंत्र को सिद्ध करके इंद्रजाल की विद्या हासिल कर सकता हे,
इन्द्रजाल का मन्त्र-
मंत्र
ॐ सनारा सनोर भास्म्सुराय इन्द्रजाल करत कान दर्शन सिद्धंम कुरु कुरु स्वाहा।
विधि–
इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए साधना अमावस्या के दिन शुरू करे और काली हकिक की माला से उपर्युक्त मंत्र १२५ बार जाप करे साधना २१ दिन तक करे,साधना के आखरी दिन हवन करे इस मंत्र की सिद्धि से साधक इन्द्रजाल की विद्या हासिल कर सकता हे।
कीमिया का मंत्र
मंत्र
ॐ नमो हर हराय नमो सांय सिद्धम कुरु-कुरु स्वाहा‘
इस मंत्र को हर रोज सुबह सबेरे उठकर एक सौ इक्कीस (१२१) बार ४१ दिन तक जाप करे तो सिद्ध होगा।
उपर्युक्त दोनों में से एक इंद्रजाल का मंत्र सिद्ध करके साधक जादूगर का खेल और कीमिया भी कर सकता हे,हम यहाँ जो भी साधना दे रहे हे वो जनहित के लिए दे रहे हे कोई भी प्रयोग करे सोच समज कर करे ताकि खुद साधक का भला हो और दुसरे का भी भला हो.
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