यक्षिणी की साधना मुख्यतः धन प्राप्ति और मनोकामना पूर्ति के लिए की जाती हे,दूसरी साधना की तुलना में यक्षिणी साधना जल्दी सिद्ध हो जाती हे,ज्यादातर नटी यक्षिणी साधना यौवन प्राप्ति के लिए की जाती हे,वशीकरण कार्य और मोहन कार्य के लिए कामदेव की सिद्धि की जाती हे ठीक वेसी तरह यौवन प्राप्ति के लिए इस यक्षिणी की साधना की जाती हे,
यक्षिणी साधना करने में साधक को कई प्रकार के निति नियम का पालन करना पड़ता हे,कई कई बार साधक का मन विचलित करने के सुन्दर स्त्री के रूप में आकर खडी हो जाती हे पर जब ऐसा दिखाई दे तो साधक को साधना नहीं छोडनी हे अपनी साधना में पूरा ध्यान लगाके साधना शुरू ही रखनी हे,
नटी यक्षिणी साधना कैसे होती हे और इसका मंत्र क्या हे सम्पूर्ण विधि विधान के साथ हम इस पोस्ट में विस्तार से चर्चा करेंगे.
मन्त्रः–
ॐ ह्रीं क्रीं नटि महानटि रूपवति स्वाहा ।”
साधन विधि-
अशोक वृक्ष के नीचे जाकर चन्दन का मण्डल लगाकर देवी का पूजन करके एक सहस्र बार धूप दे तथा एक हजार आठ बार उपर्युक्त मंत्र का जप करे। इस विधि से एक महीने तक साधन करे। सावन-काल में रात्रि में केवल एक बार भोजन करे तथा रात्रि में फिर मन्त्र जपकर अद्धं रात्रि में पूजन करे तो “नटी यक्षिणी” प्रसन्न होकर साधक को रस-अंजन तथा अन्य दिव्य भोग प्रदान करती है।
जब आपको यक्षिणी की सिद्धि मिल जाये तो उपर्युक्त मंत्र को ग्रहण काल में २१ माला करके सिद्ध करले क्योकि कोई भी मंत्र की सिद्धि हो या कोई भी साधना सिद्ध की हो उसको साल में एक बार सिद्ध करना पड़ता हे अगर उसे सिद्ध नहीं करोगे तो उसका प्रभाव ख़तम हो जाता हे,
इस तरह साधक नटी यक्षिणी साधना करके अपनी मनोकामना पूर्ति कर सकता हे.
यह भी पढ़े