नागिनी मंत्र साधना

जो लोग नागिनी साधना करना चाहता हे उसके लिए ये पोस्ट रामबाण की  तरह काम करेगी, इस पोस्ट में हमने नागिनी मंत्र साधना की सम्पूर्ण माहिती और पूरा विधि विधान दिया हे इसका अनुसरण करके आप नागिनी की सिद्धि हासिल कर सकते हो,

तो चलिए विस्तार से जानते हे नागिनी मंत्र साधना के बारे में विस्तार से जानते हे, अष्ट नागिनी की साधना कैसे होती हे और उसका विधि विधान क्या हे उसकी विधि मेने यहाँ बहुत अलग अलग प्रकार दी हे,

निम्नलिखित विधियों  में से किसी भी एक विधि के अनुसार किसी भी नागिनी मन्त्र का साधन करने से वह नागिनी प्रसन्न होकर साधक को साधन विधि में उल्लिखित  सामग्री  प्रदान  करती  है। जिस साधन

विधि में  नागिनी को जिस रूप में स्मरण करने का विधान कहा  गया है, उसमें उसी रूप से नागिनी का ध्यान  करना चाहिये। किसी भी मन्त्र को किसी भी साधन  विधि  के  अनुसार  सिद्ध  किया जा सकत है।  किसी  विशेष मन्त्र के लिये कोई विशेष साधन विधि  ही  नहीं  है। साधन विधियां निम्नानुसार है-

पहली विधि

नाग लोक में जाकर किसी भी नागिनी मन्त्र का एक लाख  जप  करने  से  अष्ट  नागिनि प्रसन्न होकर साधक की सब इच्छाओं को पूरा करती हे।

नागिनी मंत्र साधना

दूसरी विधि

शुक्ल  पक्ष  की  पंचमी तिथि के दिन नागलोक में जाकर बलिदान करके, गन्ध,पूस्पादी के उपचार द्वारा पूजन  और  मन्त्र  का जप  करने से सहस्त्र नाग-कन्यायें साधक के पास आती है । उस समय साधक को  दूध  का  अधर्य देकर उनसे  प्यार  से  पूछना चाहिये।  तदुपरान्त  नाग-कन्याये  साधक की पत्नी के  रूप  में  उसका मनोरथ पूर्ण करती है और उसे आठ स्वर्ण-मुद्रा प्रदान करती है।

तीसरी विधि

किसी  नदी  के  संगम-स्थल पर जाकर दूध भोजन सहित  नागिनी-  मन्त्र  का प्रतिदिन एक सहस्र जप करे तो नाग-कन्या प्रतिदिन साधक केपास आती है। उस  समय  साधक  को  चन्दन जल देना चाहिये। तदुपरान्त  यह  नाग-कन्या साधक की पत्नी बनकर उसे  पांच  स्वर्ण-मुद्रा  तथा अनेक प्रकार के भोज्य-पदार्थ भेंट करती है।

चौथी विधि

किसी  नदी के संगम स्थल में बैठकर नागिनी मन्त्र का  आठ सहस्र  जप  करे।  जप के अन्त में नाग कन्या  साधक  के  समीप आकर   उपस्थित होती है। उस  समय  साधक  को चाहिये कि वह नागिनी को सूर्य  वर्ण  का  पासन  देकर  कुशल क्षेम पूछे। इस  प्रकार  यह  नाग- कन्या  साधक  की  पत्नी  होकर  प्रतिदिन  १००  पल  स्वर्ण प्रदान करती है। साधक को चाहिये कि उसे नाग-कन्या द्वारा जो भी स्वर्ण प्राप्त  हो ।  उस सबको उसी दिन व्यय कर दे। उस स्वर्ण को संचित रखे नहीं।

चौथी विधि

रात्री  के  समय  सरोवर पर जाकर नागीनी मंत्र का आठ  सहस्त्र  संख्या  में  जाप करे तो सुन्दरी नाग कन्या  साधक  के  समीप  आती  है  और  उसको प्रतिदिन स्वर्ण-सुदा तथा बल देती है।

साधक  पर प्रसन्न होकर रात्रि के समय किसी नाग-कन्या  को  लाकर  साधक के अन्य मनोरथ को भी पूरा कर देती है।

षठी विधि

नाग  भवन  में जाकर, नाभि के बराबर जल में उतर कर  नागिनी  मन्त्र का आठ सहस्त्र संख्या में करे। जप  के अन्त में नाग-कन्या साधक के निकट आती है।  उस समय  साधक  को  चाहिये कि वह उसके मस्तक  पर  पुष्प  डाले। इस  भौतिक साधन करने से  नागिनों  साधक  की  पत्नी  के  रूप में उसके मनोरथ  को  पूरा  करती है और उसे प्रतिदिन आठ स्वर्ण मुद्रा एवं भोज्य पदार्थ भेट करती है।

सातवी विधि

रात्रि के समय नाग भवन में जाकर नागिनी मंत्र का  सहस्त्र  की  संख्या  में जप करे।फिर संयम मन से पुन:  जप  करे  तो  नाग-  कन्या  सर्वाभूषणों  से विभूषित  होकर  साधक  के  समीप  आती है। उस

समय  साधक को चाहिये कि वह पुष्प, चन्दन, गन्ध और बल द्वारा अर्घ्य देकर उससे कुशाल क्षेम पूछे । तब नागिनि प्रसन्न होकर साधक को  भार्या के रूप उसे  संचित  द्रव्य,  अनेक प्रकार सरस भोजन, राज्य

धन आदि प्रदान करती है।

आठवी विधि

रात्रि के समय नाग स्थान में बैठकर आठ सहस्त्र की संख्या  में  नागिनी  मन्त्र का जप करने से नागिनी शिरोरोग  से  ग्रस्त होकर साधक के समीप आती है और उसे सम्बोधीत करती हुई कहती है- हे वत्स! मैं तुम्हारा क्या कार्य करू। उस समय साधक उत्तर दे-‘तुम  मेरी  माता हो जाओ। यह सुनकर वह नागिनी प्रसन्न होकर  साधक  को  वस्त्र,  आभूषण,  मनोहर भोज्य पदार्थ तथा स्वर्ण-मुद्रा प्रदान करती है। साधक को चाहिये कि वह उन सब मुद्रामों को व्यय कर दे, क्योंकि उन सबको व्यय न करने से नागिनी क्रोधित हो जाती है तथा फिर मुद्रा नहीं देती।

नवी विधि

रात्रिकाल  में  किसी सरोवर तट पर बैठकर नागिनी मन्त्र का आठ सहस्त्र जप करे तो नाग-कन्या आकर साधक्  की पत्नी के रूप में उसे अभिलाषित वस्तुयें प्रदान  करती है। साधक को चाहिये कि वह उन सब वस्तुओ को व्यय कर दे। यदि उनमें से कुछ भी बच

रहेगा  तो नागिनी कुपित होगी तथा साधक को फिर कुछ नहीं देगी।

दसवी विधि

रात्रि के  समय नाग स्थान में जाकर आठ सहस्त्र की सख्या में नागिनी मन्त्र का जप करे। जप के  अन्त में नाग कन्या साधक के समीप आती है और उसकी पत्नी  होकर,  उसके  सब मनोरथो को पूरा करती है तथा  साधक  को प्रतिदिन दिव्य वस्त्र, भोज्य पदार्थ एवं वर्ण-मुद्रा प्रदान करती है।

ग्यारहवीं विधि

रात्रि  के  समय नाग-स्थान में जाकर नागिनी मन्त्र का आठ सहस्त्रकी संख्या में जप करे। अन्त में जब नाग-कन्या  साधक  के  समीप आये तो साधक को चाहिये कि वह उसके मस्तक पर पुष्प रखे।इस विधि से  वह नाग  कन्या  साधक  की पत्नी बनकर, उसे उत्तमोत्तम,  आभूषण एवं भोज्य-पदार्थ प्रदान करती है।

इस तरह साधक नागिनी मंत्र साधना करके अष्ट नागिनी की सिद्धि हासिल कर सकता हे.

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